Kolhan Protest: वेतन और नवीकरण को लेकर बीएड शिक्षकों ने उठाई आवाज, कुलपति से की मुलाकात
कोल्हान विश्वविद्यालय में बीएड शिक्षकों ने वेतन वृद्धि, नियुक्ति नवीकरण और भुगतान में हो रही देरी को लेकर कुलपति से की मुलाकात, जल्द समाधान का मिला आश्वासन।

कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा—एक ऐसा नाम जो झारखंड के शैक्षणिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। लेकिन इसी विश्वविद्यालय के बीएड शिक्षकों को जब अपने अधिकारों और मांगों को लेकर प्रशासन से सीधे संवाद करना पड़े, तो यह सवाल उठाता है—क्या शैक्षणिक व्यवस्था में सब कुछ वास्तव में ठीक चल रहा है?
महिला महाविद्यालय, चाईबासा के बीएड शिक्षक डॉ. राजीव लोचन नमता के नेतृत्व में एक शिक्षक प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और प्रॉक्टर से मुलाकात की और अपनी गंभीर समस्याओं को उनके सामने रखा।
क्या हैं शिक्षकों की मांगें?
शिक्षकों की सबसे प्रमुख मांग है कि उनका मासिक वेतन ₹57,700 तक बढ़ाया जाए। इसके अलावा, सभी बीएड शिक्षकों के नवीकरण (रेन्युअल) की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए और लंबित वेतन का तत्काल भुगतान किया जाए। शिक्षकों का कहना है कि वे लगातार विश्वविद्यालय के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सम्मानजनक वेतन और समय पर भुगतान नहीं मिल रहा, जो उनके जीवन और पेशेवर मनोबल दोनों को प्रभावित करता है।
इस अवसर पर डॉ. राजीव लोचन नमता के साथ प्रो. बबीता कुमारी, प्रो. प्रीति देवगन, प्रो. शीला समद, प्रो. रितेश रंजन सिंह और प्रो. धनंजय कुमार भी उपस्थित थे। सभी ने मिलकर अपनी मांगों को क्रमवार और शालीन तरीके से विश्वविद्यालय के शीर्ष पदाधिकारियों के सामने रखा।
विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
कुलपति, कुलसचिव और प्रॉक्टर ने शिक्षकों की मांगों को ध्यान से सुना और उन्हें विश्वास दिलाया कि सभी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे शिक्षकों की भूमिका और मेहनत को समझते हैं और विश्वविद्यालय की छवि और शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
कोल्हान विश्वविद्यालय और शिक्षक समस्याओं का इतिहास
कोल्हान विश्वविद्यालय की स्थापना 2009 में हुई थी और तब से यह क्षेत्रीय शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में शिक्षकों से जुड़ी समस्याएं लगातार सामने आती रही हैं—चाहे वह वेतन में देरी हो, अनुबंध का नवीकरण न होना हो या फिर प्रशासनिक उपेक्षा।
बीएड कार्यक्रम खासतौर पर झारखंड जैसे राज्यों में शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन यदि इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक ही असंतुष्ट रहेंगे तो शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा?
शिक्षकों की आवाज़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
बीएड शिक्षक न केवल भावी शिक्षकों को प्रशिक्षित करते हैं, बल्कि शिक्षा की नींव मजबूत करने का काम करते हैं। ऐसे में उनकी समस्याएं केवल एक वर्ग की चिंता नहीं हैं, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र की चिंता है। यदि समय रहते इन मुद्दों को नहीं सुलझाया गया, तो इसका प्रभाव सीधे विद्यार्थियों और शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ सकता है।
आगे क्या?
अब जब शिक्षकों ने अपनी बात सीधे विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंचा दी है, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोई ठोस कदम उठाया जाएगा। प्रशासनिक आश्वासनों के साथ-साथ अब शिक्षकों की नजर उन फैसलों पर है जो भविष्य के लिए निर्णायक सिद्ध होंगे।
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती, उसे साकार करने वाले शिक्षक ही उसकी असली धुरी होते हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय के बीएड शिक्षक आज अपने हक के लिए खड़े हैं—न केवल अपने लिए, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी। विश्वविद्यालय प्रशासन के अगले कदम पर अब सबकी नजरें टिकी हैं।
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