Jamshedpur Disaster: टाटा मोटर्स की पाइपलाइन फटी, कुष्ठ आश्रम में मचा हाहाकार, 100 फीट ऊंचा उठा पानी, 18 घर बर्बाद
जमशेदपुर में टाटा मोटर्स की रॉ वॉटर मेन लाइन फटने से देवनगर कुष्ठ आश्रम में तबाही मच गई। 18 घर ध्वस्त हो गए, 50 से अधिक लोग बेघर। जानिए कैसे घटी ये घटना और क्या है इसका इतिहास।

जमशेदपुर की सुबह उस दिन औरों से अलग थी। 12 अप्रैल की सुबह जैसे ही लोग अपने रोज़मर्रा के काम में जुटे, तभी टाटा मोटर्स और टेल्को कॉलोनी को पानी सप्लाई करने वाली रिवर पंप हाउस की मेन लाइन अचानक फट गई।
पर यह सिर्फ एक पाइपलाइन नहीं टूटी, बल्कि उसके साथ-साथ टूट गया दर्जनों गरीबों का आशियाना और जिंदगी की उम्मीदें।
100 फीट ऊपर उठता पानी, मौत का मंजर
देवनगर स्थित कुष्ठ आश्रम के निवासी उस समय या तो सो रहे थे या अपने दिन का खाना बना रहे थे। तभी अचानक जोरदार धमाके की आवाज के साथ पूरे क्षेत्र में पानी का भीषण प्रेशर फैल गया। पानी की धारा इतनी तेज थी कि 100 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई तक उठ गई।
इस भारी दबाव के कारण 18 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए और लगभग 50 से अधिक लोग प्रभावित हो गए। किसी का खाना बह गया, किसी की दवाइयां, किसी की पूरी जिंदगी। कई बुजुर्ग और विकलांग लोग बमुश्किल जान बचा पाए। एक बुजुर्ग तो पानी में फंसकर घंटों तक मदद का इंतजार करता रहा।
स्थानीय नेता पवन अग्रवाल की सक्रियता
घटना की जानकारी मिलते ही भाजपा नेता पवन अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत टाटा स्टील यूआइएसएल के हेड वॉटर संजीव झा, जीएम आरके सिंह और अधिकारी राजीव कुमार से संपर्क किया। साथ ही सीतारामडेरा थाना प्रभारी को भी सूचना दी गई।
जब अधिकारी राजीव कुमार करीब 1 घंटे की देरी से पहुंचे, तो पवन अग्रवाल और उनके बीच तीखी बहस हो गई। जब राजीव कुमार ने कहा कि "प्लांट बंद हो जाएगा", तो पवन का दो-टूक जवाब था:
"अगर प्लांट जरूरी है, तो इन गरीबों की जान उससे कहीं ज्यादा जरूरी है।"
2 घंटे बाद बंद हुआ पानी, तब तक सब खत्म
लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार पंप हाउस से पानी बंद किया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 18 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके थे, सामान बह चुका था और लोग बेघर हो चुके थे।
आपात राहत: आश्रय और भोजन की व्यवस्था
पवन अग्रवाल ने तुरंत स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बगल के सामुदायिक भवन में सभी पीड़ितों के रहने की व्यवस्था करवाई। साथ ही दोपहर का भोजन 50 से ज्यादा लोगों को मुहैया करवाया गया।
इसके साथ ही पवन ने जीएम आरके सिंह से नुकसान की भरपाई और सभी 18 घरों के पुनर्निर्माण की मांग की। उन्होंने कहा कि ये लोग कुष्ठ रोगी हैं, भीख मांगकर जीवन जीते हैं—इनके लिए सरकारी और कंपनी स्तर पर मदद अनिवार्य है।
इतिहास क्या कहता है?
टेल्को कॉलोनी और टाटा मोटर्स क्षेत्र में पाइपलाइन और पानी की समस्याएं कोई नई बात नहीं हैं। दशकों पहले जब टाटा मोटर्स का विस्तार हुआ, तब इस क्षेत्र में बसी कॉलोनियों को रॉ वॉटर की आपूर्ति के लिए रिवर पंप हाउस बनाया गया था। लेकिन वर्षों से इन पाइपलाइनों की उचित मेंटेनेंस नहीं हुई, जिससे ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आती रही हैं।
जनप्रतिनिधियों की मांग
घटना की गंभीरता को देखते हुए विधायक प्रतिनिधि गुंजन यादव भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने एसओआर से तुरंत चावल की आपूर्ति की मांग की। प्रशासन से अपील की गई कि पीड़ितों के लिए स्थायी पुनर्वास और मुआवजा सुनिश्चित किया जाए।
यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी लापरवाही नहीं था, यह प्रशासनिक संवेदनहीनता और गरीबों की अनदेखी का प्रतीक बन गया है। सवाल यही है कि क्या इन 18 घरों को फिर से बसाया जाएगा? और क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा? जवाब शायद समय देगा, लेकिन फिलहाल देवनगर का हर बाशिंदा उम्मीद लगाए बैठा है कि कोई फिर से उनका घर बसाए।
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