Jharkhand Elections: हेमंत और कल्पना सोरेन ने झोंकी पूरी ताकत, बने चुनावी सितारे
झारखंड में दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में हेमंत और कल्पना सोरेन ने 200 सभाएं कर मैदान में मचाई धूम। जानें कैसे बने झामुमो के स्टार प्रचारक।
19 नवम्बर, 2024 : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के लिए सियासी घमासान तेज हो गया है। 20 नवंबर को 38 सीटों पर होने वाले मतदान से पहले 18 नवंबर की शाम प्रचार थम गया, लेकिन इसके पहले सत्ता और विपक्ष ने अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। इस बार का चुनाव प्रचार कई वजहों से खास रहा, जिनमें सबसे बड़ी चर्चा झामुमो के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की रही।
हेमंत-कल्पना ने रचा इतिहास
हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने इस चुनाव में प्रचार की नई परिभाषा लिख दी। दोनों ने मिलकर करीब 200 चुनावी सभाएं कीं। हेमंत सोरेन ने जहां 100 सभाओं का आंकड़ा पार किया, वहीं कल्पना सोरेन ने भी लगभग 100 सभाओं से जनता को संबोधित किया। यह पहली बार था जब कल्पना सोरेन ने झामुमो की स्टार प्रचारक के तौर पर चुनावी मैदान में कदम रखा और लोगों ने उन्हें एक नेता के रूप में अपनाया।
कल्पना सोरेन का असर
कल्पना सोरेन ने इस चुनाव में एक नई पहचान बनाई है। उनके भाषणों और जनसभाओं ने झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया। उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ और जनता का उत्साह उनके प्रभाव को दिखाता है। झामुमो के लिए कल्पना सोरेन का यह उभरता हुआ चेहरा भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
एनडीए का मोर्चा संभालते मोदी-शाह
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। प्रधानमंत्री मोदी ने छह चुनावी सभाओं के साथ रांची में एक विशाल रोड शो भी किया, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थक जुटे। दूसरी ओर, अमित शाह ने 16 सभाओं के जरिए एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की।
बड़े चेहरे और बढ़ती सियासत
इस बार के प्रचार में न केवल झारखंड के नेता बल्कि देशभर के दिग्गज नेता भी मैदान में उतरे।
- असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 50 से अधिक सभाएं कीं।
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब 50 चुनावी रैलियों को संबोधित किया।
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने 12 सभाओं में भाग लिया।
- राजद के लालू प्रसाद यादव ने एक सभा की, जबकि तेजस्वी यादव ने 23 सभाओं में हिस्सा लिया।
झारखंड की चुनावी परंपरा और बदलाव
झारखंड में चुनाव हमेशा से ही सत्ता और विपक्ष के बीच कड़ा मुकाबला पेश करता रहा है। राज्य की राजनीति पर आदिवासी समुदाय का गहरा प्रभाव है, और झामुमो ने हर बार अपने मुद्दों को मजबूती से रखा है। इस बार हेमंत सोरेन ने अपने जनसभाओं में झारखंड के विकास और आदिवासी हितों पर जोर दिया।
वहीं, एनडीए ने राष्ट्रीय विकास और मोदी सरकार की उपलब्धियों को केंद्र में रखा। झारखंड की जनता के लिए यह चुनाव एक बार फिर राज्य और केंद्र के मुद्दों के बीच संतुलन तय करने का अवसर है।
हेमंत-कल्पना की जोड़ी का प्रभाव
हेमंत और कल्पना सोरेन की जोड़ी ने न केवल झारखंड बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा बटोरी। कल्पना सोरेन ने अपने भाषणों में स्थानीय मुद्दों को उठाकर जनता से सीधा जुड़ाव बनाया। उनकी सभाओं में उमड़ी भीड़ ने यह संकेत दिया कि वह झामुमो के भविष्य की मजबूत कड़ी बन सकती हैं।
क्या कहता है चुनावी समीकरण?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि झामुमो के लिए यह चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्व और कल्पना सोरेन के प्रभाव को मजबूत करने का मौका है। वहीं, बीजेपी और एनडीए के लिए यह चुनौती है कि वह झारखंड में अपने पुराने प्रभाव को वापस हासिल कर सके।
झारखंड का यह दूसरा चरण केवल 38 सीटों का चुनाव नहीं है, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने का बड़ा मौका है। हेमंत और कल्पना सोरेन की मेहनत के साथ-साथ एनडीए के दिग्गजों का जोर यह दिखाता है कि दोनों पक्ष अपनी जीत को लेकर पूरी तैयारी में हैं। अब 20 नवंबर को मतदान के बाद जनता का फैसला बताएगा कि झारखंड का अगला नेतृत्व किसके हाथ में होगा।
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