Jharkhand Resolve: जमीन विवाद से घिरे झारखंड में क्यों लग रही है शिकायतों की झड़ी? जानिए इस अनोखे शिविर का सच
झारखंड में एक बार फिर जन शिकायत समाधान कार्यक्रम के जरिए पुलिस और प्रशासन ने आम लोगों की समस्याएं सुनीं। जानिए इस शिविर में क्या निकला सबसे बड़ा मुद्दा, कितनी पुरानी शिकायतों का हुआ समाधान और क्यों ये शिविर झारखंड में बनता जा रहा है जरूरी।

झारखंड एक बार फिर लोगों की आवाज़ बनने की कोशिश में जुटा है, और इस बार माध्यम बना है – जन शिकायत समाधान कार्यक्रम। बुधवार को राज्यभर में एक बार फिर इस शिविर का आयोजन हुआ, और इस बार फोकस था जनता की उन शिकायतों पर जो सालों से कागजों में दबी पड़ी थीं।
इस कार्यक्रम की सबसे अहम कड़ी थी पूर्वी सिंहभूम जिला, जहां बिष्टुपुर के प्रतिष्ठित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में जन शिकायत शिविर आयोजित हुआ। मंच पर मौजूद थे दक्षिणी छोटानागपुर के जोनल आईजी अखिलेश झा, एसएसपी कौशल किशोर, और जिले के तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी।
लेकिन सवाल उठता है – क्या सिर्फ अधिकारियों की उपस्थिति काफी है?
जमीन विवाद बना सबसे बड़ा सिरदर्द
कार्यक्रम में दर्जनों शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से अधिकतर मामले जमीन विवाद से जुड़े हुए पाए गए। कहीं जमीन पर जबरन कब्जा, तो कहीं पैतृक संपत्ति पर चल रही सालों पुरानी लड़ाई।
आईजी अखिलेश झा ने साफ कहा कि,
“पुलिस से संबंधित शिकायतों का हम नियमों के मुताबिक समाधान कर रहे हैं, लेकिन जिन शिकायतों का संबंध अन्य विभागों से है, उन्हें तुरंत संबंधित विभाग को ट्रांसफर किया जा रहा है।”
यह कार्यक्रम महज एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोगों की उम्मीद बनकर उभर रहा है।
इतिहास क्या कहता है?
यह चौथी बार है जब राज्य में जन शिकायत समाधान कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इससे पहले 296 आवेदनों का सफलतापूर्वक समाधान किया जा चुका है। यह पहल झारखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा शुरू की गई थी, ताकि लोगों की सीधी पहुंच अफसरों तक हो सके।
इस कार्यक्रम की नींव एक विचार से पड़ी थी — "पुलिस सिर्फ अपराध रोकने तक सीमित न रहे, बल्कि वह जनता की समस्याओं का समाधानकर्ता भी बने।"
थानों से आए फरियादी और खुलते राज
शिविर में विभिन्न थाना क्षेत्रों से लोग अपनी शिकायतें लेकर पहुंचे। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने पहले भी आवेदन दिया था लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इस बार उम्मीद थी कि मंच पर बैठे उच्च अधिकारियों के सामने उनकी बात सुनी जाएगी।
एक फरियादी, जिनका नाम गोपनीय रखा गया, ने बताया:
“मेरे पिता की ज़मीन पर मेरे चाचा ने अवैध कब्जा कर लिया है। सालों से पुलिस में दौड़ रहा हूं, लेकिन अब उम्मीद है कि समाधान मिलेगा।”
IG की अपील और जनता की भागीदारी
आईजी अखिलेश झा ने इस अवसर पर कहा कि अधिक से अधिक लोग इस कार्यक्रम का लाभ लें। उन्होंने कहा कि शिविर का उद्देश्य केवल शिकायतें लेना नहीं, बल्कि उनका सुनिश्चित समाधान करना है।
एसएसपी कौशल किशोर ने भी भरोसा दिलाया कि हर शिकायत का संज्ञान लिया जाएगा और कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
जन शिकायत समाधान कार्यक्रम, झारखंड में धीरे-धीरे एक जनांदोलन जैसा रूप लेता जा रहा है। जमीन विवादों से लेकर पुलिस के रवैये तक, हर विषय पर जनता अब खुलकर बोल रही है।
और यही लोकतंत्र की असली ताकत है — जब लोग बोलते हैं और सिस्टम सुनता है।
तो अगली बार जब आपकी कोई शिकायत हो, जान लीजिए — झारखंड में अब उसकी सुनवाई ज़रूर होगी।
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