Jamshedpur Inspection: जब उपायुक्त ने कागज़ दर कागज़ खंगाले, तो खुलने लगे ऑफिस के राज!
जमशेदपुर उपायुक्त अनन्य मित्तल ने नजारत और स्थापना शाखा का गहन निरीक्षण कर दस्तावेज़ों की स्थिति पर नाराज़गी जताई। साफ-सफाई से लेकर बायोमीट्रिक उपस्थिति तक दिए सख़्त निर्देश।

जमशेदपुर जिला प्रशासन के गलियारों में इन दिनों कुछ हलचल तेज़ है। उपायुक्त अनन्य मित्तल के अचानक हुए निरीक्षण ने दफ्तर की फाइलों से लेकर कर्मचारियों की कार्यशैली तक पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने नजारत और स्थापना शाखा का गहन मुआयना कर कई अहम दस्तावेज़ों और पंजी को खुद जांचा—जिसमें पाई गईं कई खामियां अब चर्चा का विषय बन गई हैं।
क्या हुआ निरीक्षण में?
उपायुक्त ने आगत-निर्गत पंजी, रोकड़ पंजी, संचिकाएं, सीएनसी रजिस्टर, स्टॉक रजिस्टर और इंडेक्स रजिस्टर जैसे दस्तावेजों को बारीकी से देखा और उनकी अद्यतन स्थिति की पड़ताल की। उन्होंने पाया कि कई जरूरी दस्तावेज अपडेट नहीं हैं, और उनकी संधारण प्रणाली सरकारी नियमावली के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने साफ शब्दों में निर्देश दिए कि दस्तावेजों की अद्यतन स्थिति सुनिश्चित की जाए और जो सामग्रियां सरकारी राशि से खरीदी गई हैं, उनका रिकॉर्ड संचिका और भंडार पंजी में नियमित रूप से दर्ज हो। यह निर्देश सिर्फ औपचारिक नहीं थे, बल्कि उन्होंने जिम्मेदार पदाधिकारियों से अनुपालन की सख़्त अपेक्षा जताई।
वित्तीय पारदर्शिता पर ज़ोर
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त मित्तल ने यह भी कहा कि वित्त विभाग और सरकार की ओर से समय-समय पर जारी गाइडलाइनों का पालन अक्षरशः किया जाना चाहिए। निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी गई कि वित्तीय लेन-देन में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सरकार द्वारा जारी संकल्प और दिशा-निर्देश ‘गार्ड फाइल’ में संधारित किए जाएं ताकि भविष्य में उनका रेफरेंस लिया जा सके।
मानव संसाधन की भी हुई समीक्षा
फाइलों के साथ-साथ कार्यालय स्टाफ की स्थिति भी उपायुक्त की निगाहों से नहीं बच पाई। उन्होंने दोनों शाखाओं में तैनात कर्मचारियों की उपस्थिति पंजी की जांच की और पाया कि कुछ कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं। इस पर उन्होंने कड़ा संदेश देते हुए निर्देश दिया कि हर कर्मचारी अपनी बायोमीट्रिक उपस्थिति समय पर दर्ज करे।
इसके साथ ही, उन्होंने कार्यालय में कार्य विभाजन की स्थिति, दैनिक कार्य निष्पादन और समुचित कार्यावधि के उपयोग पर भी चर्चा की। उपायुक्त ने यह स्पष्ट किया कि कार्य की गुणवत्ता और समयबद्धता में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
साफ-सफाई भी रही केंद्र में
निरीक्षण केवल फाइलों और कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहा। उपायुक्त ने कार्यालय परिसर की साफ-सफाई की स्थिति का भी जायज़ा लिया और जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्वच्छता को प्राथमिकता पर रखा जाए। उनका मानना है कि एक व्यवस्थित और साफ-सुथरा कार्यालय वातावरण काम की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
क्यों है यह निरीक्षण अहम?
बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में अक्सर सरकारी दफ्तरों की फाइल व्यवस्था, जवाबदेही और उपस्थिति पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसी स्थिति में उपायुक्त अनन्य मित्तल का यह गहन निरीक्षण एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है कि अब लापरवाही के दिन लद चुके हैं।
इतिहास गवाह है कि जब प्रशासनिक अधिकारी खुद ज़मीनी हकीकत पर उतरते हैं, तब ही सुधार संभव होता है। मित्तल का यह दौरा यही दिखाता है कि दफ्तरों की काया पलटने की कोशिशें अब शुरू हो चुकी हैं।
मौके पर कौन-कौन रहे मौजूद?
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त के साथ एडीसी भगीरथ प्रसाद, नजारत उप समाहर्ता डेविड बलिहार, कार्यपालक दण्डाधिकारी चंद्रजीत सिंह और अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
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