Jamshedpur Fight: पानी के पाइप को लेकर खूनखराबा, महिला के सिर पर चला ईंट का वार!
जमशेदपुर के बागबेड़ा में पानी भरने को लेकर हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। ईंट से सिर फोड़ने तक पहुंचा मामला, जानिए क्यों बार-बार जल संकट के कारण भड़क रही हैं ऐसी घटनाएं।

जमशेदपुर में पानी को लेकर चल रहा संघर्ष अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। बुधवार दोपहर, बागबेड़ा थाना क्षेत्र के गांधी नगर में एक साधारण जल टैंकर से पानी भरने की घटना ने ऐसा उग्र रूप लिया कि मामला खूनखराबे तक पहुंच गया। एक महिला का सिर फूट गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
स्थानीय निवासी काली तिवारी के मुताबिक, उनका छोटा भाई टैंकर से पानी भरने के लिए पाइप पकड़े खड़ा था। तभी पड़ोसी प्रिया सिंह और कृष्णा की मां जबरन पाइप छीनने लगीं। पानी को लेकर शुरू हुई कहासुनी ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। आरोप है कि प्रिया सिंह और कृष्णा की मां ने ईंट से काली तिवारी के सिर पर हमला कर दिया, जिससे वह लहूलुहान हो गईं। घायल काली तिवारी का इलाज सदर अस्पताल में कराया गया।
इस घटना के बाद काली तिवारी ने बागबेड़ा थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस अब इस मामले की जांच में जुट गई है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर उस समस्या को उजागर कर दिया है, जो सालों से इस इलाके के लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रही है — जल संकट।
क्यों बार-बार हो रही हैं ऐसी घटनाएं?
गांधी नगर समेत बागबेड़ा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से जल आपूर्ति अनियमित बनी हुई है। नगर निगम द्वारा पानी टैंकर से आपूर्ति की जाती है, लेकिन यह अक्सर समय पर नहीं आती, और जब आती है, तो स्थानीय लोग पाइप के लिए भिड़ जाते हैं। ऐसी ही स्थिति बुधवार को भी बनी, जहां पानी के लिए मचा संघर्ष हिंसा में बदल गया।
इतिहास भी गवाह है — बागबेड़ा में हर गर्मी में फूटता है पानी संकट
बागबेड़ा और आसपास के इलाकों में जल संकट कोई नई बात नहीं है। हर साल गर्मी में पानी की मांग बढ़ जाती है और सप्लाई घट जाती है। 2019 में भी इसी क्षेत्र में पाइपलाइन से पानी नहीं आने पर लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया था। 2022 में एक बार फिर स्थानीय लोगों ने डीसी ऑफिस के सामने धरना दिया था। यानी इतिहास हमें साफ संकेत देता है — यह कोई एक दिन की समस्या नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और आधारभूत सुविधाओं की कमी का नतीजा है।
स्थानीय नेताओं का बयान — "ये सिर्फ शुरुआत है"
बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष और भाजपा जिला मुख्यालय प्रभारी सुबोध झा ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए प्रशासन को चेताया है। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक झगड़ा नहीं है, यह क्षेत्र की गहराती जल समस्या का परिणाम है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो हालात और बिगड़ेंगे।" उन्होंने प्रशासन से पानी वितरण पर सीधी निगरानी की मांग की है।
अब आगे क्या?
पुलिस फिलहाल इस पूरे मामले की जांच में जुटी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सिर्फ एफआईआर से जल संकट हल हो जाएगा? क्या पाइप को लेकर हर बार सिर फूटेगा? क्या प्रशासन अब भी नहीं जागेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर टैंकर से जल आपूर्ति का सही समय, उचित प्रबंधन और निगरानी नहीं हुई, तो ऐसे विवाद रोज़ की बात बन जाएंगे।
जमशेदपुर का बागबेड़ा क्षेत्र एक बार फिर उस सच्चाई से रूबरू हुआ है, जिसे कोई सुनना नहीं चाहता — जब बुनियादी जरूरतें नहीं मिलतीं, तो सभ्यता की परतें उतर जाती हैं। पानी के लिए लड़ाई अगर अब भी न रोकी गई, तो कल इसकी चिंगारी और भयंकर रूप ले सकती है।
क्या आपको लगता है कि जल संकट के लिए प्रशासन ज़िम्मेदार है या नागरिकों की आपसी सहमति की कमी?
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