Giridih Medicine Scam: सड़क पर फेंकी गई लाखों की दवा! किसने फेंकी और क्यों छुपाई गई सच्चाई?
गिरिडीह के धनवार इलाके में जीवनरक्षक दवाओं के बोरे सड़क पर फेंके मिलने से मचा हड़कंप। बिना एक्सपायरी की लाखों की दवाएं आखिर किसने और क्यों फेंकी? सवालों के घेरे में पूरा स्वास्थ्य विभाग।

Giridih के धनवार इलाके में रविवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने पूरे झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सड़क किनारे लाखों रुपये की बिना एक्सपायरी दवाएं फेंकी हुई मिलीं—वो भी जीवनरक्षक दवाएं जैसे वैक्सीन, इंजेक्शन, टैबलेट्स और कैप्सूल।
मामला गिरिडीह जिले के राजधनवार का है, जहां सरिया मार्ग पर धनवार और बिरनी प्रखंड की सीमा पर ग्रामीणों ने इन दवाओं को पड़े देखा। स्थानीय लोगों ने जब देखा कि इतनी भारी मात्रा में दवाएं यूं ही सड़कों पर बिखरी पड़ी हैं, तो उनके होश उड़ गए।
फिर क्या था? सूचना तत्काल उपायुक्त को दी गई और जिला स्वास्थ्य विभाग में मच गया हड़कंप।
घटनास्थल पर पहुंचा प्रशासन
श्रीरामडीह पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि अंसारी भाई और पंचायत समिति सदस्य भीमदेव यादव तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने खुद देखा कि दवाएं न केवल बिना एक्सपायरी थीं, बल्कि पैकिंग भी सही स्थिति में थी। लगभग 10 से अधिक बोरे दवाइयों से भरे हुए थे, जिन्हें सड़क पर फेंक दिया गया था।
मुखिया प्रतिनिधि ने यह सवाल उठाया कि यदि ये दवाएं एक्सपायरी नहीं थीं, तो फिर इन्हें मरीजों को क्यों नहीं बांटा गया? और अगर फालतू थीं, तो उचित प्रक्रिया से नष्ट क्यों नहीं की गई?
मौके पर पहुंची पुलिस और एंबुलेंस
जैसे ही सूचना फैली, परसन ओपी के पुलिसकर्मी, सीआई रामलखन मिस्त्री और अस्पताल के कर्मचारी एंबुलेंस के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। सभी दवाओं को एकत्र कर धनवार अस्पताल ले जाया गया।
स्वास्थ्य विभाग की सफाई पर उठे सवाल
जब इस पूरे मामले पर चिकित्सा प्रभारी डॉ. इंदुशेखर से सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कहा कि यह धनवार ब्लॉक की दवा नहीं है। उन्होंने मामले को संदिग्ध बताते हुए सीएस (सिविल सर्जन) से इसकी बारीकी से जांच करने की मांग की।
लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है—अगर ये दवाएं धनवार की नहीं हैं, तो फिर कहां से आईं और किसने इन्हें यहां फेंका?
कुछ पुराने मामले भी आए सामने
यह पहला मौका नहीं है जब झारखंड के किसी इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही सामने आई हो। 2019 में बोकारो जिले में भी एक्सपायरी से पहले भारी मात्रा में दवाएं नष्ट की गई थीं। 2021 में रांची के सदर अस्पताल में सैकड़ों वैक्सीन डोज खराब हो गए थे, क्योंकि उन्हें सही तापमान पर नहीं रखा गया था।
इतिहास गवाह है कि जब भी स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता की कमी होती है, उसका सबसे बड़ा खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। मरीजों के लिए जो दवाएं सरकार मुफ्त में उपलब्ध कराती है, वो या तो गोदामों में सड़ जाती हैं या सड़क पर फेंक दी जाती हैं।
आगे क्या?
अब यह देखना होगा कि उपायुक्त और सिविल सर्जन इस मामले में कितनी गहराई से जांच करते हैं। क्या दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई होगी या फिर मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
सवाल कई हैं—
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क्या दवाओं की खरीद में कोई घोटाला हुआ था?
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क्या उन्हें छुपाने के लिए जानबूझकर फेंका गया?
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क्या यह एक बड़ा रैकेट है जो दवाओं के दुरुपयोग से जुड़ा है?
जवाब अभी अधर में हैं, लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने पूरे गिरिडीह जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है।
आपका क्या कहना है? क्या इस मामले में सिर्फ लापरवाही हुई या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश है? अपनी राय ज़रूर साझा करें।
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