Sahibganj Murder Mystery: दिनदहाड़े दुकानदार की हत्या, काले-लाल गमछे वाले कौन थे?
साहिबगंज के कॉलेज रोड पर दिनदहाड़े दुकानदार संजीव कुमार शाह की गोली मारकर हत्या, काले और लाल गमछे में आए नकाबपोशों की तलाश में जुटी पुलिस, घटना के बाद इलाके में दहशत।

Sahibganj के कॉलेज रोड पर दिनदहाड़े हुई हत्या ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। जी एस इलेक्ट्रॉनिक नामक दुकान में बैठे दुकानदार संजीव कुमार शाह उर्फ गुड्डू साहा को गोली मार दी गई, वो भी तब जब दुकान पूरी तरह खुली थी और लोग आसपास मौजूद थे।
घटना ने न सिर्फ परिवार को सदमे में डाला है, बल्कि पूरे साहिबगंज को हिला कर रख दिया है। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि संजीव की हत्या के पीछे कौन था और मकसद क्या था। लेकिन जो तरीका अपनाया गया, उसने साफ संकेत दिया कि ये घटना कोई सामान्य वारदात नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हत्या है।
कैसे दिया गया वारदात को अंजाम?
जानकारी के मुताबिक, रविवार को दोपहर के समय संजीव अपनी दुकान में बैठे थे। तभी एक बाइक पर दो नकाबपोश युवक पहुंचे। दोनों ने अपने चेहरे को गमछे से ढक रखा था—एक ने काला और दूसरे ने लाल गमछा ओढ़ा हुआ था।
जैसे ही बाइक दुकान के पास रुकी, काले गमछे वाले युवक ने संजीव से उनका नाम पूछा। नाम बताते ही उसने बिना कोई मौका दिए, सीधे उनके सीने में गोली मार दी। गोली चलने की आवाज से इलाके में हड़कंप मच गया और आसपास की दुकानों के शटर धड़ाधड़ गिरने लगे।
अस्पताल में मिली मौत की पुष्टि
घायल संजीव को स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में साहिबगंज सदर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। संजीव के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं—घटना के बाद घर में मातम का माहौल पसर गया है।
पुलिस की सक्रियता, लेकिन सवाल कायम
घटना की सूचना मिलते ही नगर थाना प्रभारी अमित कुमार गुप्ता और जिरवाबाड़ी थाना प्रभारी शशि सिंह दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। थोड़ी ही देर में पुलिस अधीक्षक अमित कुमार सिंह और डीएसपी विजय कुमार कुशवाहा भी घटनास्थल पर पहुंचे।
पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं, लेकिन अब तक आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई है। बाइक पर सवार हत्यारे किस दिशा में भागे, इस पर भी अब तक कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है।
क्या ये गिरोह की करतूत थी?
साहिबगंज में पिछले कुछ वर्षों से आपराधिक गतिविधियों में इजाफा देखा गया है। 2020 में भी शहर के ही एक व्यापारी को गोली मारी गई थी, हालांकि वो बच गए थे। इससे पहले भी काले गमछे वाले हत्यारों की खबरें अलग-अलग जिलों से आती रही हैं, जिससे यह संदेह और गहराता है कि कहीं यह कोई पेशेवर गैंग तो नहीं?
क्या संजीव किसी रंजिश का शिकार हुए? या फिर उनसे वसूली की मांग की गई थी? क्या ये हत्या सिर्फ नाम पूछकर इसलिए की गई क्योंकि पहले से योजना बनाई जा चुकी थी?—इन सारे सवालों का जवाब पुलिस जांच में छुपा है।
स्थानीयों में दहशत, सुरक्षा पर सवाल
घटना के बाद कॉलेज रोड और उसके आसपास के दुकानों ने कुछ समय के लिए शटर गिरा दिए। लोगों में डर का माहौल साफ देखा गया। साहिबगंज जैसे शांत शहर में इस तरह की घटनाएं न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन की सतर्कता पर भी उंगली उठाती हैं।
आगे क्या?
फिलहाल पुलिस तफ्तीश में जुटी है। पर सवाल यही है कि क्या यह केस भी अन्य अनसुलझी फाइलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? या फिर अपराधियों की पहचान करके उन्हें कानून के कठघरे में लाया जाएगा?
अब देखना यह होगा कि साहिबगंज पुलिस इस “मर्डर मिस्ट्री” की परतें कब और कैसे खोलेगी। लेकिन इतना तय है—ये मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की साख की परीक्षा है।
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