Gumla Accident Tragedy: स्कूल जाते बेटे को रौंद गया पिकअप, शव के साथ सड़क जाम
गुमला में स्कूल जा रहे 14 वर्षीय बच्चे की पिकअप वाहन से दबकर मौत, गुस्साए ग्रामीणों ने शव के साथ सड़क किया जाम। टायर फटने से हुआ हादसा, चालक फरार।

गुमला (झारखंड): नेशनल हाईवे-23 पर एक शांत सुबह पल भर में मातम में बदल गई। गुमला जिले के कुसुंबाहा मोड़ के पास एक पिकअप वाहन पलटने से 14 साल के बच्चे विवेक लोहरा की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद शव को देखकर सड़क पर मातम पसर गया और गुस्साए ग्रामीणों ने शव के साथ रोड जाम कर दिया।
स्कूल के रास्ते मौत का बुलावा
ग्राम भगत टोली निवासी विनोद लोहरा अपने बेटे विवेक को बाइक पर बैठाकर स्कूल छोड़ने के लिए रांची जा रहे थे। तभी रांची की ओर से आ रही BSNL टावर सोलर सामान से लदी पिकअप का अचानक टायर फट गया। वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया, और उसका पूरा वजन विवेक पर जा गिरा। विनोद खुद तो बाइक से गिरकर दूर जा छिटके, लेकिन बेटा वहीं कुचला गया।
मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाकर पिकअप के नीचे से विवेक को बाहर निकाला और अस्पताल ले गए। मगर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सड़क पर शव और सिस्टम की चुप्पी
इस दर्दनाक हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने एनएच-23 पर शव रखकर जाम लगा दिया। तकरीबन आधे घंटे तक आवागमन पूरी तरह ठप रहा। लोगों की मांग थी कि पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए, और प्रशासन इस हादसे को गंभीरता से ले।
इतिहास खुद को दोहरा रहा है
गुमला के इस हिस्से में ऐसे हादसे कोई नई बात नहीं। कुसुंबाहा मोड़ और NH-23 का ये क्षेत्र पहले भी असंख्य सड़क दुर्घटनाओं का गवाह बन चुका है। यहां भारी वाहनों की तेज रफ्तार, सड़क की हालत और यातायात नियंत्रण की कमी अक्सर मौतों का कारण बनती है।
2017 में भी इसी स्थान पर एक ट्रक पलटने से दो युवकों की जान गई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब फिर एक मासूम की जान गई, और सवाल वही हैं—जिम्मेदार कौन?
प्रशासन की औपचारिकता और ग्रामीणों की मांगें
घटना की सूचना मिलते ही थानेदार कंचन प्रजापति और अंचल कर्मचारी बलराम भगत मौके पर पहुंचे। सीओ के निर्देश पर पीड़ित परिवार को 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई, जिसे ग्रामीणों ने नाकाफी बताया।
गांववालों ने प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में 10 लाख रुपये मुआवजा, अबुआ आवास योजना का लाभ, और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो वे जिला मुख्यालय तक आंदोलन करेंगे।
सवाल सड़क से ज्यादा सिस्टम पर
एक और बच्चा, एक और हादसा, और फिर वही पुराना सिस्टम — जहां मौतें आंकड़ों में गिनी जाती हैं, इंसानियत नहीं। सवाल है कि क्या ये हादसा टायर फटने का था या प्रशासन की लापरवाही का?
जब तक सड़क सुरक्षा केवल कागजों में सीमित रहेगी, गुमला जैसे जिले बार-बार मातम का घर बनते रहेंगे। क्या अब भी सरकार जागेगी? या अगली बार फिर किसी मां की गोद सूनी होगी?
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