Patamda Accident : बकरी-बैल रौंदने के बाद पलटी हाइवा, मवेशी मालिक को लाखों का नुकसान
पटमदा के ठनठनी घाटी में तेज रफ्तार हाइवा ने सड़क पार कर रहे मवेशियों को रौंद दिया। 4 बकरियों की मौके पर मौत, 2 बैल घायल। चालक फरार, सड़क पर मचा अफरा-तफरी।

जमशेदपुर (पटमदा): शुक्रवार की सुबह ठनठनी घाटी में जो दृश्य देखने को मिला, वो दिल दहला देने वाला था। तेज रफ्तार से आ रही एक अनियंत्रित हाइवा (JH05BS-9710) ने सड़क पार कर रहे चार बकरी और दो बैलों को इतनी बेरहमी से रौंद दिया कि घटनास्थल पर ही चारों बकरियों की मौत हो गई, जबकि बैलों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है।
यह हादसा उस वक्त हुआ जब बामनी टोला महुलडीह निवासी जितेन सोरेन अपने मवेशियों को सड़क पार करवा रहे थे। हादसे में उन्हें लगभग एक लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
हाइवा की रफ्तार और मौत का मंजर
हाइवा पटमदा के बनकुंचिया से गिट्टी लादकर बहरागोड़ा की ओर जा रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वाहन बेहद तेज रफ्तार में था और मोड़ पर नियंत्रण खो बैठा, जिससे यह सीधे मवेशियों पर चढ़ गया और फिर खुद भी बीच सड़क पर पलट गया।
घटना इतनी जबर्दस्त थी कि कुछ ही मिनटों में सड़क खून से सन गई और चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। वहां से गुजर रहे पटमदा उत्तरी के जिला पार्षद खगेन चंद्र महतो ने तुरंत मौके की जानकारी ली और पटमदा थाना प्रभारी को सूचित किया।
चालक फरार, खलासी घायल
हादसे के बाद हाइवा चालक मौके से फरार हो गया, जबकि खलासी को गंभीर चोटें आईं। उसे स्थानीय लोगों की मदद से माचा स्थित सीएचसी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
हाइवा का इतिहास और ट्रैफिक लापरवाही
इस हाइवा से पहले भी पटमदा क्षेत्र में बालू-गिट्टी ढुलाई का काम नियमित रूप से किया जाता रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इन भारी वाहनों की तेज रफ्तार और असावधानीपूर्ण ड्राइविंग हमेशा से खतरे का कारण रही है। ठनठनी घाटी पहले भी खतरनाक मोड़ों और तेज उतार के लिए कुख्यात रही है।
इतिहास में यह पहला मौका नहीं है जब इस घाटी में बड़ा हादसा हुआ हो। 2019 में भी इसी स्थान पर एक पिकअप वैन पलटने से तीन लोगों की जान चली गई थी।
प्रशासन का रवैया और पीड़ित की उम्मीदें
जिला पार्षद ने मवेशी मालिक जितेन सोरेन को मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि, “ऐसे हादसे लापरवाह चालकों की वजह से हो रहे हैं। पुलिस और परिवहन विभाग को सख्त कदम उठाने होंगे।”
वहीं, पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर मुआयना किया है और फरार चालक की तलाश जारी है। परंतु सवाल अब भी बरकरार है — क्या प्रशासन सिर्फ आश्वासन देकर अपने कर्तव्य से मुक्त हो जाएगा?
मवेशियों की मौत या सिस्टम की लापरवाही?
इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। जहां एक ओर किसान और पशुपालक अपने जीविकोपार्जन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लापरवाह वाहन चालक उनकी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।
अगर अब भी इस तरह की घटनाओं पर कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं आम हो जाएंगी — और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
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