Torsindri Tragedy: छऊ नृत्य देखने आए मासूम की दर्दनाक मौत, क्यों बनी ट्रैक्टर की ट्रॉली अंतिम आरामगाह?

चाईबासा के तोरसिंदरी गांव में चैत्र पर्व के छऊ नृत्य के दौरान एक 12 वर्षीय बच्चा ट्रैक्टर की ट्रॉली के नीचे सो गया और ट्रैक्टर चालक की लापरवाही से उसकी दर्दनाक मौत हो गई। जानिए पूरी घटना की दिल दहला देने वाली कहानी।

Apr 16, 2025 - 21:09
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Torsindri Tragedy: छऊ नृत्य देखने आए मासूम की दर्दनाक मौत, क्यों बनी ट्रैक्टर की ट्रॉली अंतिम आरामगाह?
Torsindri Tragedy: छऊ नृत्य देखने आए मासूम की दर्दनाक मौत, क्यों बनी ट्रैक्टर की ट्रॉली अंतिम आरामगाह?

झारखंड के चाईबासा जिले में स्थित तोरसिंदरी गांव में मंगलवार की रात एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया। चैत्र पर्व के अवसर पर आयोजित छऊ नृत्य देखने आए एक 12 वर्षीय मासूम की जान, एक लापरवाह ट्रैक्टर चालक की गलती के कारण चली गई। यह घटना न केवल प्रशासन के सतर्कता पर सवाल उठाती है, बल्कि ग्रामीण मेलों में सुरक्षा व्यवस्था की पोल भी खोलती है।

क्या था पूरा मामला?

पाताहातु गांव निवासी तुराम लेयांगी (12) अपने बड़े भाई रंगिया लेयांगी के साथ तोरसिंदरी गांव छऊ नृत्य देखने आया था। यह पारंपरिक लोक नृत्य, चैत्र पर्व के दौरान रात्रि में आयोजित होता है और क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग इसे देखने पहुंचते हैं।

मंगलवार की रात अचानक मौसम बिगड़ गया। बारिश और हवा के कारण तुराम पास में खड़े एक ट्रैक्टर की ट्रॉली के नीचे जाकर बैठ गया और फिर वहीं सो गया। उसका बड़ा भाई मेले में घूमने चला गया। रात करीब 2 बजे, जब सभी लोग आयोजन के बाद लौटने लगे, तभी ट्रैक्टर चालक बिना देखे वाहन स्टार्ट कर वहां से रवाना हो गया।

मौत की नींद सो गया मासूम

जैसे ही ट्रैक्टर आगे बढ़ा, उसका पिछला चक्का ट्रॉली के नीचे सोए तुराम के ऊपर से गुजर गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि चालक को इस बात की भनक तक नहीं लगी—or शायद वह जानकर भी फरार हो गया।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

घटना के बाद गांव में शोक और गुस्से का माहौल बन गया। स्थानीय ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना पान्ड्राशाली ओपी पुलिस को दी। पुलिस टीम रात में ही मौके पर पहुंची और बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए चाईबासा सदर अस्पताल भेज दिया।

वहीं, ट्रैक्टर चालक के फरार होने की खबर से पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी है। ट्रैक्टर मालिक और आयोजन समिति से भी पूछताछ जारी है।

ग्रामीण मेलों में क्यों दोहराती हैं ऐसी घटनाएं?

यह पहली बार नहीं है जब किसी पारंपरिक मेले या उत्सव के दौरान ऐसी दुर्घटना हुई हो। ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित होने वाले मेलों में अक्सर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर होती है। वाहन खड़े करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं होती, और न ही कोई रात्रि गश्त या निगरानी।

इतिहास गवाह है, भारत में हर साल सैकड़ों बच्चे मेलों और उत्सवों में ऐसी लापरवाहियों के शिकार होते हैं, जहां या तो सुरक्षा के मानक नहीं अपनाए जाते या फिर भीड़ की अनदेखी कर दी जाती है।

क्या कहती है पुलिस?

पान्ड्राशाली ओपी प्रभारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला लापरवाही का प्रतीत होता है। ट्रैक्टर की पहचान हो गई है और चालक को जल्द गिरफ्तार करने के लिए टीम गठित कर दी गई है। वहीं, आयोजन समिति से भी जवाब तलब किया गया है कि ट्रॉली को मेला स्थल के पास क्यों खड़ा किया गया था।

आगे क्या?

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर से ग्रामीण आयोजनों में सुरक्षा मानकों की जरूरत पर बहस छेड़ दी है। तुराम अब लौट कर नहीं आएगा, लेकिन उसकी मौत शायद आने वाले आयोजनों के लिए एक चेतावनी बन जाए।

क्या प्रशासन अब जागेगा? क्या आयोजनों में सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी? या ऐसे हादसे यूं ही होते रहेंगे, और मासूम सपनों को कुचलती रहेगी लापरवाही?

आपकी राय क्या है? क्या इस तरह के आयोजनों में प्रशासन की सीधी निगरानी होनी चाहिए?

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।