Navada: शराब तस्कर को 5 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना

नवादा में अवैध विदेशी शराब की तस्करी में दोषी को 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माना। जानें कैसे पकड़ी गई ये तस्करी और अदालत ने क्या कहा।

Nov 26, 2024 - 17:21
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Navada: शराब तस्कर को 5 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना
Navada: शराब तस्कर को 5 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना

नवादा, बिहार – शराबबंदी कानून को ठेंगा दिखाने वाले तस्करों पर प्रशासन ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। अवैध विदेशी शराब की तस्करी के मामले में अदालत ने दीपक कुमार गुप्ता को पांच साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

विशेष न्यायाधीश (उत्पाद) अशुतोष राय ने यह फैसला सुनाते हुए तस्करी के इस मामले को समाज के लिए गंभीर खतरा बताया।

कैसे पकड़ी गई तस्करी?

घटना 2 मार्च 2024 की है, जब झारखंड से नवादा में अवैध विदेशी शराब की तस्करी की सूचना मिली थी। रजौली स्थित समेकित जांच चौकी पर तैनात सहायक अवर निरीक्षक अंकित कुमार ने एक टेम्पो की तलाशी ली।

तलाशी के दौरान, टेम्पो के तहखाने में छुपाई गई 87 बोतलों में कुल 49.5 लीटर विदेशी शराब बरामद हुई। यह शराब अकबरपुर थाना क्षेत्र के निवासी दीपक कुमार गुप्ता के वाहन से बरामद की गई थी।

शराबबंदी कानून और सजा का प्रावधान

बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी कानून ने शराब तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त किया है। इस कानून के तहत, शराब की तस्करी या बिक्री करते हुए पकड़े जाने पर कठोर दंड और जुर्माने का प्रावधान है।

विशेष लोक अभियोजक मोवाशिर रसूल और किशोर कुमार रोहित ने अदालत में गवाहों और सबूतों को पेश किया। तस्करी के आरोप में पकड़े गए दीपक कुमार गुप्ता को उत्पाद थाना कांड संख्या-152/2024 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने क्या कहा?

विशेष न्यायाधीश अशुतोष राय ने अपने फैसले में कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून का उल्लंघन समाज के लिए एक गंभीर अपराध है। शराब न केवल स्वास्थ्य और सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देती है, बल्कि यह अपराध की जड़ों को भी मजबूत करती है।

अदालत ने दीपक कुमार गुप्ता को पांच साल का कठोर कारावास और एक लाख रुपये का अर्थदंड सुनाया। उन्होंने यह भी कहा कि जुर्माने की राशि अदा न करने पर सजा और बढ़ाई जा सकती है।

शराबबंदी: एक ऐतिहासिक पहल

बिहार में शराबबंदी कानून मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की एक ऐतिहासिक पहल है, जो 2016 में लागू हुआ। इस कानून का उद्देश्य राज्य में शराब के सेवन, बिक्री और तस्करी को पूरी तरह समाप्त करना है। हालांकि, इसके बावजूद तस्करी के कई मामले सामने आते हैं, जो प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

तस्करी पर कड़ा प्रहार और सामाजिक संदेश

यह मामला बिहार में शराबबंदी की सफलता और प्रशासन की सख्ती का एक बड़ा उदाहरण है। अदालत का यह फैसला न केवल शराब तस्करों के लिए एक सख्त चेतावनी है, बल्कि समाज के लिए भी यह एक संदेश है कि कानून का पालन हर नागरिक का कर्तव्य है।

शराब तस्करी से न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि यह सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी नुकसान पहुंचाती है।

 सख्ती से ही होगा बदलाव

बिहार सरकार और न्याय व्यवस्था ने यह साबित कर दिया है कि शराबबंदी कानून को सफल बनाने के लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इस तरह की कार्रवाइयां यह संदेश देती हैं कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।