Navada: भाई बना हत्यारा, मिली आजीवन कारावास और 50 हजार का जुर्माना
नवादा में सगे भाई की हत्या करने वाले को अदालत ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा। जानें मामले की पूरी कहानी और न्यायाधीश ने क्यों दी कठोरतम सजा।
नवादा, बिहार – भाई के रिश्ते को शर्मसार करने वाले एक मामले में रजौली थाना क्षेत्र के बुढियासाख गांव के विजय सिंह को अपने सगे भाई भाने सिंह की हत्या के लिए अदालत ने आजीवन कठोर कारावास और 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय सुभाष चंद्र शर्मा ने यह सजा सुनाते हुए हत्या को न केवल पारिवारिक बंधनों का उल्लंघन बताया, बल्कि इसे एक घोर अपराध करार दिया। उन्होंने अपने फैसले में भारतीय समाज में पारिवारिक रिश्तों के महत्व को रेखांकित करते हुए इस घटना को घोर पाप कहा।
क्या था मामला?
यह मामला रजौली थाना कांड संख्या 226/16 से जुड़ा हुआ है। घटना 8 सितंबर 2016 की है, जब भाने सिंह अपने गांव से जंगल की ओर जा रहे थे। उसी दौरान, चमटा पथला नामक स्थान पर घात लगाए बैठे उनके सगे भाई विजय सिंह ने उन पर टांगी (धारदार हथियार) से हमला कर उनकी हत्या कर दी।
इस घटना के बाद, मृतक की पत्नी भूनेश्वरी देवी ने पुलिस में मामला दर्ज कराया। उनकी शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई।
सजा का ऐलान और अदालत का रुख
अपर लोक अभियोजक अजीत कुमार ने मामले को अदालत में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने पुलिस द्वारा चिन्हित गवाहों के बयान दर्ज कराए, जो विजय सिंह की अपराध में संलिप्तता को साबित करने में अहम साबित हुए।
गवाहों के बयानों और सबूतों के आधार पर न्यायाधीश ने विजय सिंह को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही, अदालत ने आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और यह राशि मृतक की पत्नी को देने का आदेश दिया।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में हिंदू न्यायशास्त्र का जिक्र करते हुए कहा कि पारिवारिक बंधन का महत्व आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद गहरा है। खून के रिश्ते वाले की हत्या करना न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि यह सामाजिक और नैतिक मूल्यों का भी हनन है।
मृतक के परिवार को अतिरिक्त मुआवजे की सिफारिश
न्यायाधीश ने इस घटना को मृतक के परिवार के लिए एक बड़ी ट्रैजेडी बताते हुए, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मृतक की पत्नी को अतिरिक्त मुआवजा प्रदान करने की भी सिफारिश की है।
इतिहास में भाईयों के रिश्तों का महत्व
भारतीय इतिहास और पारिवारिक संरचना में भाई-भाई का रिश्ता हमेशा खास माना गया है। यह न केवल रक्षा और सहयोग का प्रतीक है, बल्कि इसे एक धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर देखा गया है। परंतु, जब यही रिश्ता हत्या और हिंसा का रूप ले ले, तो समाज के लिए यह एक गंभीर सवाल खड़ा कर देता है।
परिवार और कानून की जीत
इस घटना ने समाज को यह संदेश दिया है कि कानून से बड़ा कोई नहीं है। रिश्ते, चाहे जितने भी गहरे हों, अगर उनके भीतर विश्वासघात और अपराध समा जाए, तो कानून हमेशा अपने कठोरतम रूप में सामने आएगा।
अदालत का यह फैसला न्याय व्यवस्था में लोगों के विश्वास को और भी मजबूत करता है। साथ ही, यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि रिश्तों का सम्मान और पारिवारिक मूल्यों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
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