Bengaluru Harassment: मुस्लिम लड़की से "तू पहले बुर्का उतार" कहने वालों पर केस दर्ज, सोशल मीडिया पर उठा सवाल – कौन देता है 'संस्कृति' का ठेका?

बेंगलुरु के एक पार्क में मुस्लिम लड़की और हिंदू युवक को साथ देखकर कुछ लोगों ने की अभद्रता, बुर्का उतरवाने तक की दी धमकी, वीडियो वायरल होने पर पुलिस ने दर्ज किया केस।

Apr 16, 2025 - 20:40
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Bengaluru Harassment: मुस्लिम लड़की से "तू पहले बुर्का उतार" कहने वालों पर केस दर्ज, सोशल मीडिया पर उठा सवाल – कौन देता है 'संस्कृति' का ठेका?
Bengaluru Harassment: मुस्लिम लड़की से "तू पहले बुर्का उतार" कहने वालों पर केस दर्ज, सोशल मीडिया पर उठा सवाल – कौन देता है 'संस्कृति' का ठेका?

बेंगलुरु से सामने आई एक हैरान कर देने वाली घटना ने फिर से देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है – क्या एक लड़की को दोस्त चुनने का हक नहीं? क्या अब पार्क में बैठना भी अपराध हो गया है?

यह मामला बेंगलुरु के चंद्रा लेआउट थाना क्षेत्र का है, जहां एक मुस्लिम युवती और उसका हिंदू दोस्त सिर्फ पार्क में बैठकर बातचीत कर रहे थे। लेकिन तभी अचानक एक मोरल पुलिसिंग गैंग वहां पहुंचा और शुरू हुई धौंस, धमकी और बुर्का उतरवाने की जिद

क्या है पूरा मामला?

11 अप्रैल को हुए इस मामले की वीडियो क्लिप (2 मिनट 14 सेकंड) जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई, लोगों में आक्रोश फैल गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कुछ लोग एक मुस्लिम लड़की और हिंदू युवक के पास पहुंचते हैं और लड़की से उसका नाम पूछते हैं।

जब लड़की जवाब देने से बचती है और अपने दोस्त के पीछे छिपने की कोशिश करती है, तब उनमें से एक व्यक्ति कहता है, "तू मुस्लिम है और वो हिंदू... कैसे साथ बैठ सकती हो?"

"पहले बुर्का उतारो फिर जाओ"

सबसे हैरान करने वाली बात ये रही कि एक व्यक्ति लड़की से बुर्का उतारने की मांग करता है। वह कहता है, "अगर तुम्हें ये सब करना है तो बुर्का पहनने का क्या मतलब? हमें तुम्हारा बुर्का वापस दो।" जब लड़की जाने की कोशिश करती है तो वह शख्स पीछे-पीछे चलता है और बार-बार बुर्का उतारने की बात दोहराता है।

यह सिर्फ मुस्लिम पहचान की जबरन निगरानी नहीं थी, बल्कि एक लड़की की निजता और गरिमा पर सीधा हमला था।

पुलिस ने क्या किया?

वीडियो वायरल होने के बाद बेंगलुरु पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल है। डीसीपी (वेस्ट) एस. गिरीश के अनुसार, “एक युवक और युवती बाइक पर बैठे थे जब चार-पांच लोग वहां पहुंचे और पूछताछ करने लगे कि क्या उसने घरवालों को बताया है?”

लड़की ने साहस के साथ जवाब दिया कि वह जिस युवक के साथ थी वह उसका क्लासमेट है और यह उसके निजी जीवन का मामला है। बाद में लड़की के परिवार ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।

सामाजिक सवाल: ये कौन लोग हैं?

इस घटना ने एक बार फिर से ये सवाल खड़ा किया है कि भारत में महिला की स्वतंत्रता को कौन तय करता है? क्या किसी धार्मिक या सांस्कृतिक पहचान के आधार पर लड़की को उसका पहनावा, दोस्त और सोच चुनने का हक नहीं?

यह पहला मामला नहीं है। देश के कई हिस्सों में मोरल पुलिसिंग के नाम पर इसी तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं। लेकिन यह घटना इसलिए खास है क्योंकि इसमें बुर्का जैसे धार्मिक प्रतीक को जबरन वापिस लेने की मांग की गई – जो सीधे-सीधे धार्मिक पहचान के जरिए नियंत्रण का प्रयास है।

इतिहास में झांकें तो...

भारत में महिला अधिकारों की लड़ाई कोई नई नहीं है। 1920s से लेकर आज तक महिलाओं ने अपने पहनावे, विचार और साथी चुनने के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। मुस्लिम महिलाओं के लिए तो यह संघर्ष तीन तलाक से लेकर हिजाब और अब बुर्का विवाद तक जारी है।

क्या यह भारत की तस्वीर है?

जब एक लड़की से कहा जाए कि "पहले बुर्का उतारो, फिर जाओ", तो यह सिर्फ एक धार्मिक टिप्पणी नहीं, बल्कि उसकी आज़ादी पर हमला है।

इस घटना ने एक बार फिर बता दिया कि आज की सबसे बड़ी जरूरत संविधान और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को समझना है, न कि लोगों के व्यक्तिगत जीवन में जबरदस्ती झांकना।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।