Delhi Scam: राष्ट्रपति के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट, ठगों का नया दांव
दिल्ली में साइबर अपराधियों ने राष्ट्रपति के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर व्हाट्सएप कोड मांगने का नया फर्जीवाड़ा किया। जानिए पूरा मामला और सुरक्षा उपाय।
भारत में साइबर अपराधियों का दुस्साहस हर दिन नए स्तर पर पहुंच रहा है। ताजा मामला झारखंड के हजारीबाग निवासी मंटू सोनी के साथ हुआ, जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम से बने एक फर्जी फेसबुक अकाउंट से ठगने की कोशिश की गई।
मंटू ने जब इस अकाउंट की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार की, तो उन्हें एक मैसेज आया: "जय हिंद, आप कैसे हैं?" इसके बाद, ठग ने खुद को राष्ट्रपति बताकर मंटू से उनका व्हाट्सएप नंबर मांगा।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
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फेसबुक रिक्वेस्ट:
एक फर्जी अकाउंट से मंटू को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी गई। प्रोफाइल पर राष्ट्रपति की तस्वीर और उनकी डीटेल्स दी गई थीं, जिससे यह पूरी तरह असली लग रहा था। -
पहला मैसेज:
ठग ने बातचीत शुरू की और व्हाट्सएप नंबर मांगा। मंटू ने नंबर शेयर किया, लेकिन इसी बीच उन्हें शक हुआ। -
कोड भेजने का दबाव:
ठग ने मंटू को कहा, "हमने आपका नंबर सेव कर लिया है और व्हाट्सएप कोड भेजा है। जल्दी से कोड भेजें।" लेकिन मंटू ने सतर्कता दिखाई और तुरंत झारखंड पुलिस और राष्ट्रपति भवन को इस घटना की जानकारी दी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
मामले की जानकारी मिलते ही झारखंड पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी। राष्ट्रपति भवन और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है।
रांची के एसएसपी चंदन सिन्हा ने बताया कि साइबर ठगों की इस नई चाल को गहराई से जांचा जा रहा है। एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि ठगों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाए।
साइबर अपराध: भारत में बढ़ती चुनौती
भारत में डिजिटल लेन-देन और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
- साइबर अपराध के तरीके:
ठग अक्सर प्रसिद्ध हस्तियों या सरकारी अधिकारियों के नाम से फर्जी अकाउंट बनाते हैं। - आंकड़े बताते हैं:
2023 में साइबर ठगी के 50,000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जिसमें से 30% सोशल मीडिया से जुड़े थे।
ऐतिहासिक संदर्भ: पहले भी हुए ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब साइबर अपराधियों ने सरकारी हस्तियों के नाम का इस्तेमाल किया हो।
- 2021 में, प्रधानमंत्री राहत कोष के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाकर करोड़ों रुपये ठगे गए।
- 2020 में, एक फर्जी ईमेल का इस्तेमाल कर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर लोगों को निशाना बनाया गया।
सुरक्षा के लिए ये सावधानियां जरूरी
झारखंड पुलिस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं:
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ओटीपी या कोड शेयर न करें:
चाहे वह व्हाट्सएप हो या कोई अन्य प्लेटफॉर्म, किसी के साथ भी अपना ओटीपी साझा न करें। -
प्रोफाइल की जांच करें:
किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले प्रोफाइल की पूरी जांच करें। -
संदिग्ध मामलों की रिपोर्ट करें:
फेसबुक, ट्विटर या अन्य प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट की रिपोर्ट करें।
कैसे बचें ऐसे फर्जीवाड़े से?
राष्ट्रपति जैसे उच्च पद का इस्तेमाल कर साइबर अपराधियों ने ठगी की कोशिश की, लेकिन मंटू की सतर्कता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस मामले को गंभीर परिणामों से बचा लिया।
हालांकि, इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि साइबर ठगों का जाल बड़ा हो रहा है और वे किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। आम लोगों को चाहिए कि वे सतर्क रहें, और हर डिजिटल गतिविधि में सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
क्या आप साइबर ठगों के जाल में फंसे हैं? तुरंत पुलिस से संपर्क करें और अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाएं।
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