Supreme Court Verdict: त्योहारों में बिजली कटौती पर बड़ा फैसला, झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक!
झारखंड में त्योहारों के दौरान बिजली कटौती पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक। जानिए पूरा मामला।

झारखंड में त्योहारों के दौरान बिजली कटौती को लेकर कानूनी घमासान तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी, जिसमें सरहुल और रामनवमी के जुलूस के दौरान बिजली कटौती पर आपत्ति जताई गई थी।
क्या है पूरा मामला?
झारखंड में सरहुल और रामनवमी के दौरान दस-दस घंटे तक बिजली काटने की योजना बनाई गई थी।
सरहुल पर 1 अप्रैल को 10 घंटे बिजली काटी गई।
रामनवमी पर 6 अप्रैल को भी बिजली कटौती की घोषणा हुई।
झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर सवाल उठाया।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को त्योहारों में बिजली कटौती को सीमित रखने और जरूरी सेवाओं को बिजली आपूर्ति जारी रखने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी।
हाईकोर्ट ने क्यों उठाया था सवाल?
झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस कानून के तहत धार्मिक जुलूस के दौरान इतनी लंबी बिजली कटौती की जा रही है?
बिजली कटौती से आम जनता को भारी परेशानी होती है।
गर्मी में मरीजों, बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए यह बड़ी समस्या है।
हाईकोर्ट ने बिजली विभाग और सरकार को जवाब देने को कहा था।
बिजली कटौती और सुरक्षा का तर्क!
राज्य सरकार का कहना है कि धार्मिक जुलूसों के दौरान सुरक्षा कारणों से बिजली काटी जाती है।
त्योहारों में बिजली की तारों और लाउडस्पीकरों के चलते दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।
सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर ही बिजली कटौती की जाती है।
जब जुलूस समाप्त हो जाता है, तब बिजली आपूर्ति बहाल कर दी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप, क्यों दिया राहत भरा फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अंडरटेकिंग मांगी कि बिजली कटौती सीमित होगी।
जरूरी सेवाओं जैसे अस्पतालों को बिजली आपूर्ति जारी रखने के निर्देश दिए।
अब 8 अप्रैल को इस मामले की विस्तृत सुनवाई होगी।
इतिहास: त्योहारों और बिजली कटौती का विवाद नया नहीं!
झारखंड ही नहीं, देश के कई राज्यों में त्योहारों के दौरान बिजली कटौती पुराना मुद्दा रहा है।
अयोध्या, वाराणसी और पटना जैसे शहरों में भी धार्मिक जुलूसों के दौरान बिजली कटौती होती रही है।
2000 के दशक में कई जगहों पर बिजली कटौती को लेकर दंगे तक हो चुके हैं।
हाल के वर्षों में त्योहारों के दौरान बिजली कटौती का मुद्दा राजनीतिक और कानूनी विवाद बन चुका है।
क्या होगी अगली रणनीति?
अब राज्य सरकार को 8 अप्रैल तक अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रखना होगा।
अगर सुप्रीम कोर्ट बिजली कटौती को असंवैधानिक मानता है, तो झारखंड में नई नीति बनेगी।
अगर सरकार का तर्क मजबूत रहा, तो त्योहारों में बिजली कटौती जारी रह सकती है।
राजनीतिक घमासान तेज, विपक्ष ने साधा निशाना
झारखंड की राजनीति में यह मुद्दा तूल पकड़ चुका है।
भाजपा ने कहा कि हेमंत सरकार त्योहारों में बिजली कटौती कर लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है।
झामुमो का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है, विपक्ष इसे राजनीतिक रंग दे रहा है।
अब सबकी नजरें 8 अप्रैल की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं।
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