Ranchi Suicide Mystery: "बेटा बेल्ट से मारता था"... और फिर मां ने लगा ली फांसी!

रांची के चुटिया थाना क्षेत्र में एक मां ने बेटे की प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जानिए इस परिवार के भीतर छिपी कड़वी सच्चाई और क्या है राहुल केसरी की भूमिका।

May 8, 2025 - 09:46
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Ranchi Suicide Mystery: "बेटा बेल्ट से मारता था"... और फिर मां ने लगा ली फांसी!
Ranchi Suicide Mystery: "बेटा बेल्ट से मारता था"... और फिर मां ने लगा ली फांसी!

रांची शहर के चुटिया थाना क्षेत्र में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई खून के रिश्ते कभी-कभी ज़हर बन सकते हैं?

56 वर्षीय सुनीता देवी, जो मकचुंद टोली में अपने बेटे राहुल केसरी के साथ रहती थीं, ने बेटे की प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह कोई सामान्य घरेलू कलह नहीं थी — यह कहानी है उस टूटते रिश्ते की, जहां बेटा ही मां का सबसे बड़ा दुख बन गया।

बेल्ट, मुक्का और ताने: वो आखिरी दिन

5 मई की शाम, राहुल केसरी और उसकी मां सुनीता देवी के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई। बहस इतनी बढ़ी कि राहुल ने बेल्ट और मुक्कों से मां की पिटाई कर दी और फिर घर से निकल गया।

मां ने खुद को कमरे में बंद कर लिया — और फिर न बाहर निकली, न किसी से बात की। अगली सुबह यानी 6 मई को जब उसकी बेटी रूबी केसरी, जो भुरकुंडा में शादीशुदा है, को यह सूचना मिली कि मां दरवाज़ा नहीं खोल रही हैं, तो वो दौड़ी-दौड़ी मायके पहुंची।

दरवाज़ा खोलने पर जो दृश्य सामने था, उसने सबको स्तब्ध कर दिया — सुनीता देवी फंदे से लटकी हुई थीं।

बेटे के खिलाफ केस, लेकिन क्या न्याय मिलेगा?

रूबी केसरी ने चुटिया थाना में अपने भाई राहुल केसरी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कराया है। उसका कहना है कि राहुल अक्सर अपनी मां को मारता-पीटता था, ताने देता था और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था।

पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। लेकिन सवाल ये है कि क्या बेटा, जो मां का सहारा होना चाहिए था, अब सज़ा पाएगा या फिर यह मामला भी फाइलों में गुम हो जाएगा?

इतिहास दोहराता है खुद को?

रांची और झारखंड के अन्य हिस्सों में पारिवारिक प्रताड़ना और बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्गों के खिलाफ घरेलू हिंसा में हर साल बढ़ोतरी देखी जा रही है।

सुनीता देवी की घटना कोई अपवाद नहीं है, बल्कि यह समाज में फैले उस सड़ांध की झलक है, जहां बुजुर्गों को बोझ समझा जाने लगा है।

मौन पड़ोस, खामोश रिश्तेदार

पड़ोसी और रिश्तेदार अब इस घटना पर चुप हैं। सबका कहना है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि राहुल ऐसा कर सकता है। लेकिन क्या वाकई लोगों को अंदाज़ा नहीं था? या फिर समाज की चुप्पी ही इन घटनाओं को जन्म देती है?

रूबी ने बताया कि उसकी मां अक्सर फोन पर अपनी तकलीफें बताती थीं, लेकिन कभी किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया।

अब क्या आगे?

राहुल केसरी फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। अगर वह गिरफ्तार होता है, तो उसे आत्महत्या के लिए उकसाने और घरेलू हिंसा के तहत सज़ा मिल सकती है।

पर असली सवाल यह है कि क्या सुनीता देवी को न्याय मिलेगा? या फिर उनकी कहानी भी एक आंकड़ा बनकर रह जाएगी?

यह सिर्फ एक मां की मौत नहीं, बल्कि एक समाज की विफलता की कहानी है। बेटा जो भगवान का रूप माना जाता है, जब वही शैतान बन जाए तो मां कहां जाए?

जरूरत है कि पारिवारिक हिंसा को लेकर समाज जागरूक हो, बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर कानून सख्त हो और ऐसे मामलों को नज़रअंदाज़ न किया जाए।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।