Govindpur Attack Horror: ज़मीन के झगड़े में महिलाओं पर टूटा कहर, अंधेरे में हुई दरिंदगी की कोशिश!
गोविंदपुर थाना क्षेत्र के बड़ा नावाटांड़ गांव में ज़मीन विवाद को लेकर रात में घर में घुसकर महिलाओं पर हमला और दुष्कर्म का प्रयास किया गया। जानिए पूरी घटना की दिल दहला देने वाली सच्चाई।
धनबाद के गोविंदपुर थाना क्षेत्र का बड़ा नावाटांड़ गांव मंगलवार रात हिंसा के उस भयानक अध्याय का गवाह बना, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
एक सामान्य जमीन विवाद ने ऐसा रूप ले लिया, जिसमें न केवल लाठियां और तलवारें चलीं, बल्कि महिलाओं पर दुष्कर्म का प्रयास भी किया गया। इस हमले में चार महिलाएं और एक पुरुष गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें दो की हालत नाजुक बताई जा रही है।
घर में घुसकर हमला, अंधेरे में हुआ खौफनाक वारदात
पीड़िता पूर्णिमा देवी के अनुसार, रात का समय था जब गांव के ही कुछ लोगों ने झरिया से गुंडों को बुलवाया। फिर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर उन्होंने उसके घर पर धावा बोल दिया।
तलवार, रड और साबल से लैस हमलावरों ने घर में मौजूद सभी सदस्यों को पीट-पीटकर घायल कर दिया। महिलाएं चीखती रहीं, लेकिन दरिंदगी करने वालों का दिल नहीं पसीजा। पीड़िता का दावा है कि हमलावरों ने महिलाओं के साथ दुष्कर्म की कोशिश भी की, लेकिन किसी तरह उन्होंने खुद को बचा लिया।
घायलों की हालत गंभीर, मेडिकल कॉलेज में भर्ती
हमले में घायल हुईं पूर्णिमा देवी, पूजा देवी और पेमिया देवी का इलाज निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार दो महिलाओं की हालत नाजुक है, जिन्हें ICU में रखा गया है।
परिवार के अन्य सदस्यों को भी चोटें आई हैं, लेकिन खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
FIR दर्ज, आरोपी फरार
पुलिस इंस्पेक्टर रुस्तम अली ने बताया कि इस मामले में राहुल कुमार साव, गुड़िया देवी, संदीप कुमार साव, घनश्याम महतो, नरेंद्र महतो, जगदीश प्रसाद साव और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
FIR में IPC की गंभीर धाराएं, जिनमें हत्या की कोशिश, घर में जबरन प्रवेश, मारपीट, और दुष्कर्म की कोशिश शामिल हैं, लगाई गई हैं।
पुलिस का कहना है कि सभी आरोपी फरार हैं, लेकिन जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी।
इतिहास भी गवाह है: ज़मीन विवाद बना है खून का कारण
झारखंड के कई इलाकों में जमीन विवाद कोई नई बात नहीं है। अक्सर ये विवाद कानूनी रास्ते के बजाय हिंसा की ओर मुड़ जाते हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, हर साल ज़मीन विवाद के कारण झारखंड में दर्जनों हत्या और सैकड़ों हमले होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक गहरी है, जहां कानून से ज़्यादा स्थानीय दबंगों का बोलबाला होता है।
महिलाएं फिर बनीं निशाना, समाज कब सुधरेगा?
इस घटना की सबसे डरावनी बात यह रही कि महिलाएं एक बार फिर सबसे कमजोर कड़ी बन गईं। न सिर्फ उन्हें मारा गया, बल्कि उनके साथ दुष्कर्म का प्रयास भी किया गया — यह दर्शाता है कि हिंसा के बीच महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं।
बड़ा सवाल यह है कि क्या महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ कागज़ों में रह गई है? जब कानून के डर के बिना दबंग गांव में घुसकर ऐसा अत्याचार कर सकते हैं, तो ग्रामीण महिलाएं कैसे खुद को सुरक्षित समझें?
अब क्या आगे?
पुलिस की कार्रवाई शुरू हो गई है। गांव में तनाव बना हुआ है, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। लेकिन जब तक आरोपी पकड़े नहीं जाते, पीड़ित परिवार को राहत नहीं मिलेगी।
सिर्फ ज़मीन नहीं, इंसानियत भी खोई
यह घटना केवल एक जमीन के टुकड़े की लड़ाई नहीं थी, बल्कि इंसानियत की हार थी। घर की चारदीवारी, जो एक महिला के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती है, वही उसके लिए यातना गृह बन गई।
अब देखना यह है कि क्या कानून पीड़ितों को न्याय दिला पाएगा, या यह मामला भी जांच और चार्जशीट के जंगल में खो जाएगा।
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