Nawada हत्याकांड: जख्मी युवक की मौत, सड़क जाम कर गुस्साए ग्रामीणों ने उठाई ये बड़ी मांग
नवादा जिले में सिमरी बिगहा के ढिमरापर में मारपीट के बाद इलाज के दौरान युवक की मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क जाम कर पुलिस अधीक्षक की मांग की। जानिए पूरा मामला।
नवादा जिले के सिमरी बिगहा, ढिमरापर मुहल्ले में 2 जनवरी को घटित हुई एक मारपीट की घटना ने गांव में गुस्से और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया। इस घटना में गंभीर रूप से जख्मी हुए युवक की इलाज के दौरान पटना के निजी नर्सिंग होम में मौत हो गई। मृतक युवक की पहचान 40 वर्षीय सुनील यादव के रूप में हुई, जो गांव के परमेश्वर यादव के बेटे थे। इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया और मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क जाम कर विरोध जताया।
मृतक सुनील यादव की मौत और उसका दर्दनाक अंत
घटना के दिन 2 जनवरी को सुनील यादव अपने घर के पास भैंस का दूध निकाल रहा था, तभी कुछ युवकों ने उन पर हमला कर दिया। गांव के ही कुछ युवक सुनील को बुरी तरह से पीटने लगे, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इलाज के लिए उसे तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उसे पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
सड़क जाम और पुलिस की भूमिका
मृतक का शव गांव वापस आया तो सुनील के परिजनों और आक्रोशित ग्रामीणों ने एसएच-83 वारिसलीगंज बाईपास के पास स्थित आरओबी के सामने सड़क जाम कर दिया। उनका आरोप था कि मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई मिलनी चाहिए। सड़क जाम कर रहे लोग पुलिस अधीक्षक को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े हुए थे। इसके बाद मौके पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह, विधायक प्रतिनिधि शैलेंद्र सिंह, भाजपा नेता संजय कुमार मंगल, सीओ, बीडीओ और पुलिस अधिकारी पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास किए।
नीलम देवी का दिल दहला देने वाला विलाप
सुनील की पत्नी नीलम देवी का रो-रोकर बुरा हाल था। पति की मौत के बाद अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित नीलम ने शव से लिपटकर विलाप किया। "अब हमर बेटवा के पालन-पोषण के करतय हो रजवा, हमर जिंदगिया कइसे कटतै हो रजवा," नीलम का यह विलाप सुनकर हर किसी की आंखों में आंसू आ गए। उनके पास तीन नाबालिग बेटे और तीन साल की एक बेटी थी, जिनकी देखभाल अब नीलम को अकेले करनी होगी।
गांव के लोग और उनकी यादें
ग्रामीणों का कहना था कि सुनील एक नेकदिल इंसान था और वह हमेशा दूसरों की मदद करता था। नए साल के आगमन पर कुछ युवकों के बीच झगड़ा हुआ था, जिसे सुनील ने शांत करवा दिया था। लेकिन दो जनवरी की सुबह, जब वह भैंस का दूध निकाल रहा था, तब कुछ लोगों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की। ग्रामीणों ने मामले को शांति से सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के कारण यह घटना इस हद तक बढ़ गई।
क्या है इस घटना की पूरी वजह?
ग्रामीणों का कहना था कि यह घटना व्यक्तिगत रंजिश का नतीजा हो सकती है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच की प्रक्रिया जारी है। दूसरी ओर, मृतक के परिवारवालों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने सही समय पर मदद नहीं की, जिसके कारण यह दर्दनाक घटना हुई।
आखिरकार क्या होगा?
अब यह सवाल उठता है कि इस मामले में प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करेगा? क्या मृतक के परिवार को न्याय मिलेगा? क्या सख्त कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके? इस सबके बीच, इस घटना ने एक बार फिर से ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा की कमी और पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि ग्रामीण इलाकों में अक्सर छोटी सी बात भी बड़े विवाद का रूप ले सकती है, खासकर जब पुलिस प्रशासन समय पर कदम नहीं उठाता। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या इस जघन्य अपराध का कड़ा न्याय होगा।
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