US-China Trade War: टैरिफ जंग ने चीन के 'इलेक्ट्रॉनिक्स हब' को झकझोर दिया, शेन्ज़ेन बाज़ार में सन्नाटा!
अमेरिका-चीन टैरिफ जंग ने शेन्ज़ेन के हुआकियांगबेई इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार को बुरी तरह प्रभावित किया है। जानें कैसे 145% टैरिफ ने चिप्स सेक्टर को ठप कर दिया और चीन कैसे दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार बढ़ाकर नुकसान की भरपाई करने की तैयारी कर रहा है।

अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ जंग ने दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट शेन्ज़ेन के हुआकियांगबेई को हिलाकर रख दिया है। बाहर से देखने पर यहां की सड़कों पर भीड़ और सामान ढोते मजदूर सामान्य दिखते हैं, लेकिन अंदरूनी हालात बिल्कुल अलग हैं। चिप्स सेक्शन में सन्नाटा पसरा है, दुकानें बंद हो रही हैं, और व्यापारी मुश्किल से गुजारा कर पा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ थोप दिया। इसका सबसे बुरा असर सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स पर पड़ा है, जो शेन्ज़ेन के हुआकियांगबेई बाज़ार की रीढ़ हैं।
"अब खुद ही पैकिंग करनी पड़ रही है"
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अनाम चिप वितरक ने बताया कि "पिछले हफ्ते से ऑर्डर 70% तक गिर गए हैं।" इंटेल और एएमडी जैसी कंपनियों के चिप्स की कीमतें 10-40% बढ़ चुकी हैं, जिससे खरीदार दूर भाग रहे हैं। एक अनुभवी चिप निर्माता झेंग ने कहा, *"पहले हम रोज़ 10 मजदूरों को पैकिंग के लिए रखते थे, अब खुद ही काम करना पड़ रहा है।"*
अमेरिका ने फिर दी टैरिफ की धमकी
हालांकि अमेरिका ने कुछ सेमीकंडक्टर्स पर अस्थायी छूट दी थी, लेकिन ट्रंप ने हाल ही में फिर से नए टैरिफ की चेतावनी दी है। इससे व्यापारियों के बीच अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। चाइना सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन का दावा है कि अमेरिकी चिप्स को छूट मिल सकती है, लेकिन यह कितनी कारगर होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
चीन की नई रणनीति: दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार बढ़ाओ!
इस संकट से निपटने के लिए चीन ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (ASEAN) के साथ व्यापार बढ़ाने की रणनीति बनाई है। एशिया+3 मैक्रोइकॉनॉमिक रिसर्च ऑफिस (AMRO) के मुख्य अर्थशास्त्री होई ई खोर के अनुसार:
- अमेरिकी टैरिफ से चीन की जीडीपी ग्रोथ 1% तक गिर सकती है।
- 2025 तक अर्थव्यवस्था 4.8% की दर से बढ़ेगी, जो पहले के 5% लक्ष्य से कम है।
- सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरीज जैसे उत्पादों को ASEAN में बेचकर नुकसान की भरपाई की जा सकती है।
क्यों ASEAN चीन के लिए अहम है?
- वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया जैसे देशों में चीन ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाई हैं ताकि अमेरिकी टैरिफ से बचा जा सके।
- 2000 से 2024 तक ASEAN, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने अमेरिकी निर्यात पर निर्भरता 24% से घटाकर 15% कर दी है।
- AMRO के प्रधान अर्थशास्त्री एलन एनजी का कहना है कि यह "एकीकृत एशियाई अर्थव्यवस्था" बनाने का समय है।
क्या चीन अमेरिका से आजाद हो पाएगा?
चीन अब "डी-अमेरिकनाइजेशन" की राह पर चल पड़ा है। वह नए उद्योगों में निवेश करके और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ मजबूत संबंध बनाकर अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश कर रहा है। लेकिन क्या यह रणनीति काम करेगी? यह तो वक्त ही बताएगा।
क्या आपको लगता है कि चीन ASEAN के सहारे अमेरिकी टैरिफ के असर को कम कर पाएगा? कमेंट में अपनी राय दें!
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