Chaibasa Meeting: उपायुक्त की बैठक में उठे बड़े सवाल, 25 अप्रैल की दिशा बैठक से पहले क्या हो पाएंगी तैयारियां पूरी?
चाईबासा में उपायुक्त कुलदीप चौधरी की अध्यक्षता में जिला समीक्षा बैठक आयोजित हुई, जहां दिशा बैठक की तैयारियों को लेकर गंभीर चर्चा हुई। जानिए किन विभागों पर उठे सवाल और क्या रह गईं चुनौतियाँ।

Chaibasa Meeting की इस बार की समीक्षा बैठक महज एक रूटीन प्रक्रिया नहीं रही — बल्कि यह पश्चिमी सिंहभूम के विकास के हर उस पहलू को गहराई से टटोलने का प्रयास था, जो आम जनता से सीधे जुड़ा है। उपायुक्त कुलदीप चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में एक सवाल सबसे बड़ा बनकर उभरा: क्या 25 अप्रैल को होने वाली दिशा बैठक से पहले सभी तैयारियां पूरी हो पाएंगी?
बैठक का आयोजन जिला समाहरणालय के सभागार में हुआ, जिसमें उप विकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा, परियोजना निदेशक-आइटीडीए जयदीप तिग्गा, जिला आपूर्ति पदाधिकारी सुनीला खलको, जिला शिक्षा पदाधिकारी, समाज कल्याण पदाधिकारी समेत कई उच्च अधिकारी शामिल हुए।
दिशा बैठक की पृष्ठभूमि
"दिशा" यानी जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति, केंद्र सरकार द्वारा गठित वह महत्वपूर्ण मंच है, जहां सांसदों की अध्यक्षता में जिले के विकास कार्यों की समीक्षा होती है। इसका मकसद है यह सुनिश्चित करना कि केंद्र और राज्य की योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू हो रही हैं या नहीं।
इस वर्ष 25 अप्रैल को यह बैठक सिंहभूम की सांसद जोबा माझी की अध्यक्षता में आयोजित होनी है, और यही वजह है कि जिला प्रशासन इसकी तैयारियों को लेकर सजग है।
बिंदुवार समीक्षा में दिखी चुनौतियाँ
बैठक में उपायुक्त ने पिछली दिशा बैठक में तय किए गए निर्णयों की समीक्षा की और देखा कि किन-किन विभागों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है और कौन पीछे रह गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, आपूर्ति और ग्रामीण विकास जैसे मूलभूत विभागों से प्रस्तुत प्रतिवेदनों का गहन विश्लेषण किया गया।
उपायुक्त ने विशेष रूप से निर्देश दिया कि जो भी प्रतिवेदन अभी तक अधूरे हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूर्ण कर एक समेकित पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन (PPT) के रूप में तैयार किया जाए ताकि सांसदों के समक्ष पूरी रिपोर्टिंग पेश की जा सके।
हर विभाग पर नजर
जिला आपूर्ति विभाग से पूछा गया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कितने लाभुकों को अनाज मिला, और क्या वितरण में पारदर्शिता रही।
स्वास्थ्य विभाग से पूछा गया कि आदिवासी क्षेत्रों में टीकाकरण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं कितनी प्रभावी रही हैं।
शिक्षा विभाग से प्राथमिक विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति, शिक्षकों की नियुक्ति और ड्रॉपआउट दर पर रिपोर्ट मांगी गई।
समाज कल्याण विभाग से विशेष रूप से पोषण अभियान, किशोरी सशक्तिकरण योजना और वृद्धावस्था पेंशन की प्रगति पर सवाल उठे।
उपायुक्त का सख्त संदेश
उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा, “दिशा बैठक सिर्फ खानापूर्ति नहीं है, यह जनता के हितों से जुड़ी बैठक है। इसलिए हर विभाग को न केवल अपने कार्यों की जानकारी देनी है, बल्कि उसे परिणामों के रूप में पेश करना होगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी विभाग PPT प्रस्तुति अधूरी न छोड़े, और अधिकारी खुद उसके प्रस्तोता के रूप में उपस्थित रहें।
अब सबकी नजर 25 अप्रैल पर
अब जब 25 अप्रैल की दिशा बैठक में गिनती के दिन बाकी हैं, प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। अधिकारी फाइलों में डूबे हैं, रिपोर्ट्स अपडेट हो रही हैं और हर विभाग कोशिश में है कि वह सांसद के सामने जवाबदेह नजर न आए।
Chaibasa Meeting इस बार सवालों से भरी रही — और 25 अप्रैल को जोबा माझी की अध्यक्षता में होने वाली दिशा बैठक इन सवालों का उत्तर मांगेगी। क्या हर विभाग खुद को तैयार पा रहा है? क्या आम जनता को फायदा मिल रहा है या फिर योजनाएं सिर्फ कागज़ों पर दौड़ रही हैं?
इसका जवाब अब चंद दिनों में सबके सामने होगा — और तब ये तय होगा कि चाईबासा विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है या सिर्फ दिशा निर्देशों में उलझा है।
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