Jharkhand Seminar: नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में तकनीक की नई क्रांति, 'AI & Analytics' से जुड़ने की प्रेरणा
नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में आयोजित "The Magic of AI & Analytics" सेमिनार में छात्रों को भविष्य की तकनीकों की बारीकियों से रूबरू कराया गया। जानिए कैसे ये सेमिनार युवाओं के लिए बना प्रेरणा का स्रोत।

पोखारी, झारखंड – झारखंड की तकनीकी शिक्षा में एक नया अध्याय जुड़ गया जब नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में "The Magic of AI & Analytics" नामक सेमिनार का आयोजन किया गया। मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हुए इस आयोजन में यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। खासकर B.Tech, BCA, BBA, B.Com और B.Sc के विद्यार्थियों ने इस ज्ञानवर्धक सत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
यह कोई साधारण सेमिनार नहीं था—यह एक झलक थी उस भविष्य की, जहाँ इंसानी सोच और मशीन की शक्ति मिलकर नए युग की नींव रख रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स आज सिर्फ तकनीकी जार्गन नहीं रह गए हैं, बल्कि ये वो क्षेत्र हैं जो आने वाले वर्षों में करियर और इनोवेशन की दुनिया को आकार देंगे।
वक्ताओं ने खोला AI का असली जादू
इस आयोजन की मुख्य वक्ता रहीं डॉ. शीतल महेन्दर, जो ISDC (International Skill Development Corporation) में हेड ऑफ एनालिटिक्स के पद पर कार्यरत हैं। उनके साथ मंच साझा किया श्री सिद्धांत चंडेल ने, जो ISDC के रीजनल हेड हैं। दोनों वक्ताओं ने युवाओं को यह समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि कैसे AI और Analytics आज की दुनिया में बदलाव के प्रमुख उपकरण बन चुके हैं।
डॉ. शीतल ने कहा, "हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ डेटा नया तेल बन चुका है। जिस तरह से तेल ने औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया था, उसी तरह डेटा और AI आज की डिजिटल क्रांति के इंजन हैं।"
श्री चंडेल ने बताया कि Machine Learning, Data Science, Business Intelligence जैसे फील्ड्स में स्कोप सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है—यह एक वैश्विक क्रांति है।
छात्रों की जिज्ञासा और संवाद
पूरे सेशन के दौरान छात्रों की भागीदारी देखने लायक थी। कई छात्रों ने लाइव सवाल पूछे—AI सीखना कहां से शुरू करें? कौन से सर्टिफिकेशन सबसे भरोसेमंद हैं? इंडस्ट्री में किन टूल्स की सबसे ज्यादा मांग है?
इन सवालों का जवाब देने के दौरान वक्ताओं ने Python, R, Power BI, Tableau, और TensorFlow जैसे लोकप्रिय टूल्स और सर्टिफिकेशन प्लेटफॉर्म्स का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए केवल टेक्निकल ज्ञान ही नहीं, बल्कि प्रॉब्लम सॉल्विंग अप्रोच और डाटा के प्रति सोच भी मायने रखती है।
एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
AI और Analytics की शुरुआत कोई हाल की बात नहीं है। 1956 में जब पहली बार “Artificial Intelligence” शब्द का इस्तेमाल हुआ था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन ये हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाएगा—चाहे वह स्मार्टफोन हो, ऑनलाइन शॉपिंग, या मेडिकल डायग्नोसिस।
आज AI हर सेक्टर को प्रभावित कर रहा है—स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, वित्त और यहाँ तक कि राजनीति भी। और ऐसे में नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी का यह सेमिनार एक न सिर्फ जागरूकता का माध्यम बना, बल्कि यह भी संदेश दिया कि झारखंड जैसे उभरते राज्यों में भी तकनीकी क्रांति की लहर तेज़ हो चुकी है।
भविष्य की दिशा
सेमिनार का समापन छात्रों को एक स्पष्ट संदेश के साथ हुआ—अगर आप खुद को आने वाले युग के लिए तैयार करना चाहते हैं, तो AI और Analytics की गहराइयों में उतरना शुरू कीजिए।
यह आयोजन न केवल छात्रों के लिए प्रेरणा बना बल्कि यूनिवर्सिटी के लिए भी यह दर्शाने का एक अवसर था कि वह किस तरह तकनीकी उन्नति में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
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