Bodam Accident: मंदिर दर्शन को निकले युवक की मौत, बेकाबू टेंपो ने ली ज़िंदगी!
बोड़ाम थाना क्षेत्र के चिमटा गांव में मंदिर जा रहे तीन युवकों को एक तेज़ रफ्तार टेंपो ने मारी टक्कर। बाइक चला रहे युवक की मौके पर ही मौत, दो गंभीर घायल। पढ़ें पूरी घटना की इनसाइड स्टोरी।

"हाथी खेड़ा मंदिर की यात्रा बन गई जिंदगी का आखिरी सफर..."
बोड़ाम थाना क्षेत्र के चिमटा गांव के पास गुरुवार की सुबह जो हुआ, वह किसी भी परिवार के लिए दुःस्वप्न जैसा है। तीन युवक, जो केवल मंदिर दर्शन को निकले थे, उनकी यात्रा एक हादसे में तब्दील हो गई। एक की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हैं।
यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि राज्य की बदहाल सड़कों और बेलगाम वाहनों की कहानी भी बयां करती है।
कहां से शुरू हुआ ये हादसा?
घटना नीमडीह थाना अंतर्गत चिलयामा गांव से शुरू होती है, जहां के तीन युवक—बादल सिंह, रवि रजत और मदन सिंह—सुबह-सुबह हाथी खेड़ा मंदिर की ओर निकले थे। बाइक चला रहे थे 21 वर्षीय बादल सिंह, जो चांडिल कॉलेज का छात्र था।
रास्ते में जब वे चिमटा गांव के पास पहुंचे, तभी सामने से आ रहे एक तेज रफ्तार टेंपो ने सीधे उनकी बाइक में टक्कर मार दी।
टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि बादल सिंह सड़क पर गिरते ही अचेत हो गया। आसपास के लोगों ने तत्काल सभी को एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने बादल को मृत घोषित कर दिया। बाकी दो घायलों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
टेंपो चालक फरार, पुलिस तलाश में
घटना के तुरंत बाद टेंपो चालक मौके से फरार हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टेंपो की रफ्तार इतनी तेज थी कि टक्कर के बाद बाइक के परखच्चे उड़ गए।
बोड़ाम थाना पुलिस को सूचना दे दी गई है और टेंपो व उसके चालक की तलाश जारी है। फिलहाल घटना की जांच चल रही है।
"मंदिर जा रहे थे, घर लौटे बेटे की लाश के साथ"
मृतक बादल सिंह के पिता ने बताया कि तीनों युवक सुबह हाथी खेड़ा मंदिर दर्शन के लिए निकले थे। ये सफर उनके बेटे के लिए आखिरी साबित हुआ।
उन्होंने कहा, “मैंने बेटे को मंदिर जाने से रोका नहीं क्योंकि वो आस्था से जुड़ा हुआ था। किसे पता था कि मंदिर की राह उसकी ज़िंदगी की आखिरी राह बन जाएगी।”
इतिहास गवाह है: बेलगाम रफ्तार बन चुकी है काल
झारखंड में ऐसे सड़क हादसे अब आम होते जा रहे हैं। तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाना अब तक सैकड़ों जानें ले चुका है।
साल 2022 में एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में औसतन हर दिन 3 से ज्यादा लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती है।
इससे भी चिंताजनक बात ये है कि ग्रामीण इलाकों में तो सड़कें संकरी, अधूरी और बिना संकेतों के हैं, जहां न पुलिस गश्ती होती है और न ही किसी प्रकार की ट्रैफिक मॉनिटरिंग। यही वजह है कि हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार समय पर सड़क सुरक्षा के नियमों को सख्ती से लागू करे और ग्रामीण क्षेत्रों में भी ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम सक्रिय किया जाए, तो ऐसे कई हादसे रोके जा सकते हैं।
स्थानीय लोगों की भी यही मांग है कि चिमटा गांव के पास स्पीड ब्रेकर और साइन बोर्ड लगाए जाएं, जिससे आगे और जानें न जाएं।
निष्कर्ष: मंदिर से मौत तक की यात्रा
यह घटना सिर्फ एक युवक की मौत नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की असफलता का आईना है जो सड़क सुरक्षा को केवल शहरी समस्या मानती है।
झारखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी युवाओं के सपने सड़कों पर दम तोड़ रहे हैं। मंदिर जाने निकला एक छात्र अब सिर्फ यादों में रह गया।
आपका क्या मानना है? क्या ऐसे हादसों को रोकना सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं? इस लेख को साझा करें ताकि सही सवाल उठ सकें और कोई और बेटा यूं रास्ते में न छूट जाए।
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