Hazaribagh Fraud: जीएसटी चोरी का हाई-प्रोफाइल खुलासा, करोड़ों के खेल में एजेंट और फर्जी फर्म शामिल!

हजारीबाग में करीब 1 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा, फर्जी फर्म और एजेंट की भूमिका आई सामने। व्यवसायी ने खुद को बताया निर्दोष, जांच में करोड़ों की सीमेंट-छड़ बिक्री का राज़ खुला। पढ़ें पूरी कहानी।

Apr 24, 2025 - 14:27
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Hazaribagh Fraud: जीएसटी चोरी का हाई-प्रोफाइल खुलासा, करोड़ों के खेल में एजेंट और फर्जी फर्म शामिल!
Hazaribagh Fraud: जीएसटी चोरी का हाई-प्रोफाइल खुलासा, करोड़ों के खेल में एजेंट और फर्जी फर्म शामिल!

झारखंड का हजारीबाग जिला इन दिनों एक बड़े कर घोटाले (Tax Fraud) के खुलासे से सुर्खियों में है। करोड़ों की जीएसटी चोरी, फर्जी दस्तावेज और अज्ञात एजेंट—ये सब मिलकर एक ऐसा जाल बुनते हैं, जिसे सुलझाना अब राज्य-कर विभाग की प्राथमिकता बन गई है।

1 करोड़ की कर चोरी: सुराग मिला तो हिला पूरा सिस्टम

हजारीबाग अंचल के राज्य-कर संयुक्त आयुक्त कार्यालय के अनुसार, जिले में लगभग 1 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है। जांच में पता चला कि दो अलग-अलग स्तरों पर धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया—एक वास्तविक व्यवसायी के नाम पर फर्जीवाड़ा और दूसरा पूरी तरह फर्जी फर्म के जरिए।

पिंटू कुमार गुप्ता: व्यवसायी या बलि का बकरा?

मामले का पहला सिरा जुड़ता है चतरा जिले के एनटीपीसी टंडवा निवासी पिंटू कुमार गुप्ता से, जिसे एफएमसीजी वस्तुओं—जैसे खाद्य सामग्री, सौंदर्य उत्पाद और पेय पदार्थ—की खरीद-बिक्री के लिए जीएसटी नंबर मिला था। लेकिन जांच में सामने आया कि पिंटू कुमार असल में छड़ और सीमेंट बेच रहा था, जो उसकी अनुमति के दायरे से बाहर है।

राज्य-कर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिंटू कुमार ने करीब 1 करोड़ रुपये का जीएसटी चोरी किया और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ भी दूसरे डीलरों को दिलवाया। इतना ही नहीं, उसने राज्य के बाहर भी माल भेजकर 5 करोड़ रुपये तक का व्यापार कर डाला।

एजेंट बना गुनाहगार: पिंटू ने बताई अपनी कहानी

जब विभागीय जांच अधिकारियों ने पिंटू से पूछताछ की, तो उसका दावा था, “मैंने तो केवल एक एजेंट को रिटर्न फाइल करने की ज़िम्मेदारी दी थी। उसने मेरे नाम पर सबकुछ किया। मुझे कुछ नहीं पता।”

अब ये एजेंट फरार है और पुलिस उसे ढूंढ रही है। लेकिन सवाल यह उठता है—क्या बिना व्यवसायी की जानकारी के इतना बड़ा लेनदेन संभव है?

एमके एंटरप्राइजेज: फर्जी पते पर करोड़ों की बिक्री!

इस पूरे घोटाले का दूसरा चेहरा है एमके एंटरप्राइजेज नाम की फर्म, जिसने हजारीबाग जिले के ओकनी क्षेत्र के पते पर छड़ और सीमेंट के बड़े पैमाने पर व्यापार का दावा किया है।

जांच में जब राज्य कर विभाग और आईबी की संयुक्त टीम उस पते पर पहुंची, तो कोई फर्म वहां मौजूद नहीं मिली। यानी न केवल कारोबार फर्जी, बल्कि उसका पता भी बनावटी निकला।

फर्म ने जिस जीएसटी नंबर के जरिए कारोबार दिखाया, उसके जरिए करोड़ों की बिक्री दर्ज की गई है। अब यह पूरा मामला विभाग के लिए गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

इतिहास से सीख नहीं ली गई?

भारत में जीएसटी प्रणाली को वर्ष 2017 में लागू किया गया था, ताकि कर प्रणाली पारदर्शी और केंद्रीकृत हो सके। लेकिन अब तक दर्जनों बार यह सामने आ चुका है कि एजेंट और व्यापारी मिलीभगत कर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दुरुपयोग करते हैं।

2018 में बिहार के पटना और गया में भी इसी तरह के फर्जी बिलिंग और आईटीसी क्लेम के केस सामने आए थे, जिसमें करोड़ों की कर चोरी हुई थी।

अब आगे क्या?

राज्य-कर विभाग ने स्पष्ट किया है कि जांच पूरी होने के बाद व्यवसायी और फर्जी फर्म पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, “यह केवल शुरुआत है, और भी कई फर्में स्कैनर के नीचे हैं।”

भरोसे के नाम पर कर चोरी का खेल

इस घोटाले ने साफ कर दिया है कि एक तरफ व्यापारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, तो दूसरी तरफ विभाग की सतर्कता और पारदर्शिता की चुनौती अब भी बरकरार है।

क्या आपको लगता है एजेंट अकेला दोषी है या व्यवसायी भी जिम्मेदार है?
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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।