Ranchi Visit: कुष्ठ रोग से लड़ने के लिए लिया बड़ा कदम, जानिए सासा कावा इंडिया फाउंडेशन की मिशन को
रांची में सासा कावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन के CEO श्री गौरव सेन और श्रीमती किरण पास्रीचा के दौरे में कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों की मदद के लिए क्या कदम उठाए गए? जानिए पूरी जानकारी।

रांची के न्यू कॉलोनी में सासा कावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन के CEO श्री गौरव सेन और एडवाइजरी बोर्ड की सदस्य श्रीमती किरण पास्रीचा का स्वागत किया गया। यह स्वागत सिर्फ एक सामान्य मुलाकात नहीं था, बल्कि एक महत्वपूर्ण कदम था कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों की मदद के लिए। इस कार्यक्रम का आयोजन Association of People Affected by Leprosy (APAL) झारखंड के लीडर श्री मधुसूदन तिवारी द्वारा किया गया, जिन्होंने फाउंडेशन के उद्देश्यों पर विस्तृत चर्चा की।
कुष्ठ रोग, जिसे हम आमतौर पर लेप्रोसी के नाम से जानते हैं, एक पुरानी बीमारी है जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित करती है। भारत में कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक है। ऐसे में सासा कावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन का यह प्रयास और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। फाउंडेशन का उद्देश्य इस घातक बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद करना और समाज में कुष्ठ रोग के प्रति सही जानकारी फैलाना है।
कार्यक्रम में श्रीमती पास्रीचा और श्री सेन ने रांची के निर्मल आवास कॉलोनी का दौरा किया। इस दौरे में उन्होंने कुष्ठ रोग से प्रभावित युवाओं, बुजुर्गों और बच्चों से मुलाकात की और उनके साथ विचार-विमर्श किया। इस मौके पर फाउंडेशन ने एक पेड़ भी लगाया, जो पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक था और यह संदेश देने का तरीका था कि हम सभी को मिलकर इस समाज को बेहतर बनाना है।
लेकिन इस आयोजन की सबसे दिलचस्प बात यह थी कि सासा कावा इंडिया फाउंडेशन ने चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बच्चों को संगीत वाद्ययंत्र वितरित किए। यह एक कदम था, जो बच्चों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया। संगीत वाद्ययंत्रों का वितरण न केवल एक दान था, बल्कि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए एक बुनियादी आवश्यकता भी थी।
इतिहास में देखा जाए तो कुष्ठ रोग के प्रति समाज का दृष्टिकोण हमेशा से ही नकारात्मक रहा है। समय के साथ, जब विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत सी प्रगति हुई है, तो कुष्ठ रोग के प्रति समाज में संवेदनशीलता की भी आवश्यकता है। और ऐसे पहलुओं को सही दिशा में बढ़ावा देने में सासा कावा इंडिया फाउंडेशन जैसे संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणा है कि किस तरह हम एकजुट होकर समाज के कमजोर वर्ग की मदद कर सकते हैं। रांची में इस कार्यक्रम के जरिए न केवल कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक नई दिशा मिल रही है, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने का भी एक मजबूत माध्यम बन रहा है।
सासा कावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन का यह दौरा न केवल रांची के लोगों के लिए बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए एक बड़ा संदेश था, कि जब हम अपने समुदाय के हर वर्ग के साथ मिलकर काम करते हैं, तो बदलाव अवश्य आता है। अब सवाल यह है कि क्या हम सभी इस पहल को अपना समर्थन देंगे और कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों की मदद के लिए मिलकर काम करेंगे?
आज से कुछ साल पहले, कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों को समाज में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब इन तरह के कार्यक्रमों के जरिए धीरे-धीरे समाज में बदलाव देखने को मिल रहा है। इस तरह के कार्यों से हम न केवल कुष्ठ रोग को खत्म करने के प्रयासों में मदद कर सकते हैं, बल्कि समाज को एकजुट और जागरूक भी बना सकते हैं।
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