रांची शहर के डीजल और सीएनजी ऑटो, साथ ही ई-रिक्शा चालकों ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिससे शहर की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। यह हड़ताल जिला प्रशासन द्वारा ऑटो और ई-रिक्शा के रूट निर्धारित करने के फैसले के विरोध में की जा रही है।
हड़ताल का कारण और उसका प्रभाव
रांची के ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने संयुक्त रूप से इस हड़ताल का ऐलान किया है। उनका कहना है कि जिला प्रशासन के नए रूट निर्धारण से उन्हें आर्थिक नुकसान होगा और उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। हड़ताल के पहले ही दिन सोमवार को ऑटो चालकों ने रातू रोड से राजभवन तक जुलूस निकाला और अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया।
रांची शहर में हर दिन करीब 25,000 ऑटो और 13,000 ई-रिक्शा चलते हैं। इसके अलावा, 41 सिटी बसें भी रूट पर होती हैं। ऐसे में इन वाहनों का नहीं चलना शहर की लाइफलाइन पर बड़ा असर डाल सकता है। आम लोग, जो रोजाना ऑफिस, स्कूल, कॉलेज या अन्य कामों के लिए इन साधनों पर निर्भर हैं, उन्हें खासा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
प्रशासन और चालकों के बीच तनातनी
ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि जिला प्रशासन ने उनके रूट निर्धारित करने का फैसला उनकी सहमति के बिना लिया है, जो कि सरासर गलत है। चालकों के अनुसार, नए रूट निर्धारण से उनकी आमदनी में भारी कमी आएगी और उन्हें अपने परिवार का पालन-पोषण करने में दिक्कत होगी। दूसरी ओर, जिला प्रशासन का तर्क है कि यह निर्णय शहर में ट्रैफिक को सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए लिया गया है।
रांची जिला प्रशासन ने इस मामले को सुलझाने के लिए चालकों के संघों से बातचीत करने का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है।
शहर के लिए चुनौतीपूर्ण समय
रांची में ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की यह हड़ताल शहर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। लोगों को दफ्तर जाने, स्कूल पहुंचने, और अन्य दैनिक गतिविधियों के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर जा रहे हैं, जबकि कुछ निजी टैक्सियों और बसों का सहारा ले रहे हैं, जिनकी संख्या बहुत ही सीमित है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह हड़ताल लंबे समय तक चली, तो इसका असर शहर की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। दुकानदारों, छोटे व्यापारियों, और अन्य कारोबारियों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट के साधनों के ठप होने से उनके व्यवसाय पर सीधा असर पड़ेगा।
क्या है आगे का रास्ता?
ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने यह साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। वहीं, प्रशासन ने भी बातचीत का रास्ता खुला रखा है, लेकिन साथ ही शहर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने की चेतावनी भी दी है।
इस स्थिति में, रांची के लोगों को इंतजार है कि कब यह हड़ताल खत्म होगी और शहर की जीवन रेखा, यानी ऑटो और ई-रिक्शा, फिर से सड़कों पर दौड़ना शुरू करेंगे।
इस हड़ताल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रांची में परिवहन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों के बीच संवाद और समझौते की सख्त जरूरत है। जब तक सभी पक्ष मिलकर काम नहीं करते, तब तक शहर की जनता को ऐसे संकटों का सामना करना पड़ता रहेगा।