गोरखपुर में भू-माफियाओं के बढ़ते प्रभाव का एक और शर्मनाक उदाहरण सामने आया है। चिलुआताल थाना क्षेत्र के जंगल बेनी माधव नंबर दो, मोहरीपुर में भू-माफिया प्रभु नाथ मौर्या के खिलाफ बड़ा आरोप लगा है। आरोप है कि सत्ता पक्ष के विधायक के सह पर उन्होंने 29 जनवरी 2025 को एक जमीन का अवैध कब्जा कर लिया, और वो भी तब, जब जिलाधिकारी के आदेश पर एक जांच टीम ने इसे रोकने का प्रयास किया था।
क्या हुआ था इस जमीन पर?
दरअसल, 28 जनवरी 2025 को जिलाधिकारी गोरखपुर के निर्देश पर तहसीलदार सदर की अगुवाई में आठ सदस्यीय टीम मौके पर पहुंची थी और जांच पड़ताल की थी। इस दौरान उन्हें यह निर्देश दिया गया कि प्रभु नाथ मौर्या को किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से मना किया जाए। लेकिन इसके बावजूद, 29 जनवरी को मौर्या और उनके सहयोगियों ने बाउंड्री वॉल तोड़कर अपना बाउंड्री वॉल खड़ा कर दिया।
विधायक का नाम क्यों आया सामने?
इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। विजयपति सिंह, जो कि पीड़ित परिवार के सदस्य हैं, ने प्रेस क्लब पर प्रेस वार्ता करते हुए आरोप लगाया कि यह कब्जा सत्ता पक्ष के विधायक के सह पर हुआ है। उनका कहना है कि विधायक की शह पर ही भू-माफिया इस जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। क्या यह सीधे तौर पर सत्ता के साथ सांठ-गांठ का मामला नहीं है?
कानूनी कार्रवाई और जांच
इस मामले में पुलिस ने भू-माफिया प्रभु नाथ मौर्या और उनके सहयोगियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। चिलुआताल थाने पर 406, 419, 420, 427, 467, 468, 471 और 12बी धाराओं के तहत ये मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इस मामले में न्यायालय का भी आदेश आया था कि कब्जे को लेकर कोई अवरोध उत्पन्न नहीं किया जाएगा, लेकिन फिर भी भू-माफियाओं ने सरकारी आदेशों की अवहेलना की और जमीन पर कब्जा किया।
क्यों बढ़ रहा है भू-माफियाओं का दबदबा?
गोरखपुर जैसे शहरों में भू-माफिया का दबदबा एक पुरानी समस्या है। पहले भी कई बार भू-माफिया अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए सरकारी और निजी जमीनों पर कब्जा करने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे मामलों में यदि राजनीतिक संरक्षण मिल जाए, तो इन गतिविधियों को रोक पाना और भी मुश्किल हो जाता है।
क्या पुलिस कर पाएगी कार्रवाई?
अब सवाल यह उठता है कि जब सत्ता पक्ष के विधायक की सह पर इस तरह की कार्रवाई हो रही हो, तो पुलिस इन भू-माफियाओं पर अंकुश कैसे लगाएगी? क्या पुलिस अपने कर्तव्यों को निभाएगी या इस मामले को दबाने की कोशिश करेगी?
क्या यह मामला एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है?
यह मामला सिर्फ जमीन के कब्जे का नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी राजनीति भी सवालों के घेरे में है। क्या सत्ता पक्ष के विधायक और भू-माफिया के बीच की सांठ-गांठ को कोई सार्वजनिक रूप से चुनौती दे पाएगा? गोरखपुर की जनता अब इस सवाल का जवाब चाहती है।
इस पूरे मामले ने गोरखपुर में सत्ता और भू-माफियाओं की जुगलबंदी को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन और पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करती है, और क्या गोरखपुर की जनता को न्याय मिलेगा?