Ranchi Protest : मुस्लिम समुदाय ने आतंक के खिलाफ मनाया काला जुम्मा
रांची में मुस्लिम समुदाय ने पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ काली पट्टी बांधकर जुम्मे की नमाज अदा की और कैंडल मार्च निकालकर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। जानिए क्यों यह विरोध बन गया राज्यव्यापी संदेश।

झारखंड की राजधानी रांची एक बार फिर जनभावनाओं के तीव्र ज्वार से गुज़री, जब मुस्लिम समुदाय ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के खिलाफ एकजुट होकर कड़ा विरोध जताया। शुक्रवार का दिन राजधानी में न सिर्फ एक धार्मिक अवसर बना, बल्कि यह दिन देशभक्ति, इंसानियत और आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की मिसाल भी बन गया।
25 अप्रैल को जुम्मे की नमाज के दौरान राजधानी की प्रमुख मस्जिदों में कुछ अलग नज़ारा देखने को मिला। मुस्लिम समाज के लोगों ने काली पट्टियाँ बाँधकर नमाज अदा की और आतंक के खिलाफ गहरी नाराजगी ज़ाहिर की। नमाज के बाद हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों की आत्मा की शांति के लिए दुआ की गई।
इतिहास में झाँके तो… भारत में मुस्लिम समाज ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है। 2008 के मुंबई हमले हो या पुलवामा, हर बार धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने साफ़ कहा कि आतंक का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं। यही संदेश शुक्रवार को रांची में भी दोहराया गया, जब मस्जिदों से अमन का पैगाम गूंजा।
मौलानाओं ने लिया सख्त रुख धुर्वा सेक्टर-3A टाइप मस्जिद में मौलाना रहमत रज़ा ने तकरीर के बाद दुआ कराई और साफ कहा – “दहशतगर्दों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।” वहीं जामा मस्जिद के खतीब सैय्यद शाह अलकमा शिबली कादरी ने नमाज के बाद दिए बयान में कहा – “इस्लाम में आतंकवाद की कोई जगह नहीं। यह हमला इंसानियत के खिलाफ है, और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
कैंडल मार्च बना विरोध का प्रतीक शुक्रवार शाम को एक और बड़ा दृश्य तब दिखा जब मस्जिद जाफरिया से अल्बर्ट एक्का चौक तक कैंडल मार्च निकाला गया। नेतृत्व कर रहे मौलाना फज़ी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कहा – “भारत एकता का प्रतीक है और हम सभी देश के साथ खड़े हैं। धर्म बाद में आता है, देश पहले।”
इस कैंडल मार्च में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। सुन्नी वक्फ बोर्ड के इबरार अहमद, जेएमएम के जुनैद अनवर, सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकिलुर रहमान और अन्य कई प्रमुख समाजसेवी शामिल रहे। हाथों में तिरंगा और आँखों में गुस्सा लिए लोगों ने यह संदेश दिया कि रांची आतंक के खिलाफ एकजुट है।
भारतीय एकता कमेटी का समर्थन गुलाम मुस्तफा के नेतृत्व में 'भारतीय एकता कमेटी' ने भी इस विरोध को समर्थन दिया। उन्होंने कहा – “आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। यह सिर्फ इंसानियत का दुश्मन है। अब वक्त है कि इसे जड़ से खत्म किया जाए।” प्रदर्शनकारियों के हाथों में ‘आतंकवाद मुर्दाबाद’, ‘शांति हमारा धर्म है’ जैसी तख्तियां थीं जो साफ संदेश दे रही थीं।
सरकार से उठी सख्त कार्रवाई की मांग विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों की सरकार से एक ही मांग थी – “अब और नहीं। पाकिस्तान और आतंकियों को सख्त सज़ा दीजिए।” यह सिर्फ एक समुदाय की आवाज़ नहीं थी, बल्कि पूरे झारखंड की ओर से उठी इंसानियत की पुकार थी।
रांची का यह विरोध सिर्फ एक दिन की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक लंबे समय से दबे आक्रोश का प्रतीक बन गया है। उम्मीद की जा रही है कि इस एकजुटता से न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में एक मजबूत संदेश जाएगा कि भारत के लोग आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।
अंत में, यह विरोध सिर्फ मुस्लिम समुदाय की पहल नहीं थी, यह एक जनआंदोलन था जिसमें हर मजहब, हर सोच और हर दिल ने हिस्सा लिया। एक संदेश – देश पहले है, आतंक को जड़ से खत्म करना है।
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