Hazaribagh JailUpdate: राज्य का सबसे खतरनाक जेल, जहां कैदी नहीं कर पाएंगे सांस भी आज़ादी से!
हजारीबाग में झारखंड का पहला हाई सिक्योरिटी जेल बन रहा है, जिसमें केवल हार्डकोर अपराधियों को रखा जाएगा। जानिए क्या खास होगा इस जेल में और क्यों यह देश के सबसे सुरक्षित जेलों में गिना जाएगा।

झारखंड को मिलने जा रहा है एक ऐसा कारागार, जो देश की सबसे सख्त जेलों में शुमार होगा। हजारीबाग जिले के जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा परिसर में राज्य का पहला हाई सिक्योरिटी जेल तैयार हो रहा है, और इस पर काम बेहद तेज़ी से जारी है।
25 अप्रैल को गृह सचिव वंदना दादेल ने इस निर्माणाधीन जेल का दौरा किया और सुरक्षा इंतज़ामों का गहन निरीक्षण किया। अधिकारियों के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि यह जेल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि झारखंड की सुरक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा।
280 कैदियों की कड़ी निगरानी
18.20 एकड़ में फैला यह हाई सिक्योरिटी जेल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा, जिसमें 87.65 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण हो रहा है। खास बात यह है कि इस जेल में केवल 280 कैदियों को रखने की व्यवस्था होगी — लेकिन ये कैदी कोई आम अपराधी नहीं होंगे।
यह जेल उन्हीं के लिए है जिन्हें 'हार्डकोर' उग्रवादी या अपराधी कहा जाता है — जो आम जेल की दीवारें भी तोड़ने का माद्दा रखते हैं।
क्या-क्या होगा इस हाई सिक्योरिटी जेल में?
यह जेल सुरक्षा की दृष्टि से बिल्कुल अभेद्य होगा। यहां मल्टी-लेयर सिक्योरिटी, वॉच टावर, डिजिटल सर्विलांस, ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम जैसे फीचर्स रहेंगे। इसके अलावा:
-
50 शैय्या वाला बैरक
-
अस्पताल, चिकित्सक और पारा मेडिकल स्टाफ के लिए आवास
-
कंप्यूटर ऑपरेटर और लिपिक स्टाफ का अलग आवास
-
अधीक्षक और कारापाल के लिए अलग आवास
-
पाकशाला (किचन), ड्रेनेज सिस्टम और वर्षा जल संचयन
-
अग्निशमन प्रणाली
-
मुख्य व उच्च कक्षपाल आवास
-
आंतरिक और बाहरी रास्तों की पक्की व्यवस्था
इतिहास से सीख: क्यों पड़ी जरूरत हाई सिक्योरिटी जेल की?
झारखंड में पिछले दो दशकों में उग्रवाद की जड़ें बहुत गहरी रही हैं। नक्सली गतिविधियों से निपटना, जेल से भागने की घटनाएं और संगठित अपराध को काबू में लाना राज्य के लिए हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है।
2001 में पलामू जेल ब्रेक, 2013 में रांची जेल में हुई साजिश और कई छोटे-बड़े सुरक्षा चूक के मामलों ने सरकार को झकझोर दिया। ऐसे में इस तरह की एक विशेष जेल का निर्माण समय की ज़रूरत बन गया था।
कैदियों ने रखी अपनी मांग
गृह सचिव जब झारखंड के खुला जेल सह पुनर्वास केंद्र पहुंचीं, तो उन्होंने सजायाफ्ता कैदियों से सीधा संवाद किया।
लंबे समय से जेल में सजा काट रहे कैदियों ने कहा कि अगर उन्हें कौशल विकास और रोजगार से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाए, तो वे बाहर जाकर समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकते हैं। गृह सचिव ने इसपर सहमति जताते हुए जल्द कदम उठाने की बात कही।
क्या होगा इसका बड़ा असर?
यह हाई सिक्योरिटी जेल न केवल अपराध नियंत्रण की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह राज्य की छवि को एक नई दिशा देगा। अब नक्सली या संगठित अपराधी भी जानेंगे कि झारखंड की जेलों से भागना नामुमकिन है।
सवाल यह है कि क्या यह जेल वास्तव में इतना अभेद्य होगा कि देशभर के अपराधी इसका नाम सुनकर ही डर जाएं? या फिर ये भी बाकी जेलों की तरह समय के साथ ढीला पड़ जाएगा? जवाब समय देगा, लेकिन शुरुआत दमदार है।
क्या आपको लगता है कि ऐसे हाई सिक्योरिटी जेलों की संख्या और बढ़नी चाहिए?
What's Your Reaction?






