साहित्य समाज का दर्पण - डॉ ऋषिका वर्मा
साहित्य बने दर्पण समाज का, अंधेरे मे बने रोशनी की किरण,.....
साहित्य समाज का दर्पण
साहित्य बने दर्पण समाज का,
अंधेरे मे बने रोशनी की किरण,
भावों की बहती गंगा इसमे,
जो डूबता तर जाता इसमे,
समाज की आत्मा है साहित्य,
लोगों को रास्ता दिखाता है,
साहित्य को रचकर ही,
मनुष्य स्वजीवन में उन्नति कर पता है,
मिले सम्मान सभी साहित्य कारों को,
समाज को वह सही रास्ता दिखाता है,
सजग कर समाज को वह अपना कर्तव्य निभाता है,
सही दीशा समाज को साहित्य दिखाता है,
साहित्य है दर्पण समाज का,
सबमें आशा की किरण जागता है।
- डॉ ऋषिका वर्मा
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