ग़ज़ल  - रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़

तुम्हारी बात का मैंने बुरा नहीं माना  मगर जो बात है उसको भला नहीं माना ....

Sep 2, 2025 - 12:14
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ग़ज़ल  - रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़
ग़ज़ल  - रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़

ग़ज़ल  

तुम्हारी बात का मैंने बुरा नहीं माना 
मगर जो बात है उसको भला नहीं माना 

कभी भी अपने से जिसको जुदा नहीं माना 
कभी भी उसने मुझे बावफ़ा नहीं माना 

मिरी नज़र ने तुझे क्या से क्या नहीं माना 
तिरी खता को तो मैंने खता नहीं माना 

ये दिल गवारा नहीं कर सका तो क्या करता 
यक़ी नहीं था मुझे फैसला नहीं माना 

वो रोज़ ही ख़ता करता रहा मगर यारो 
कभी वो अपनी ख़ता को ख़ता नहीं माना 

ज़रा सी बात पर नाराज़ हो ग‌ऐ मुझसे 
बताईये ज़रा कब क्यों कहा नहीं माना 

हमेशा आपने मर्ज़ी चलाई है अपनी 
कभी भी आपने कहना मिरा नहीं माना 

कहा भला बुरा जो भी उसे ही माना है 
तिरी ज़फा को तो मैंने ज़फा नहीं माना 

कदम कदम पे उसे ठोकरें ही खानी हैं 
वो जिसने अपने बड़ों का कहा नहीं माना 

तिरे सिवा नहीं गौहर का ऐ खुदा कोई 
इसीलिये तो किसी को खुदा नहीं माना 

ग़ज़लकार 
रियाज खान गौहर भिलाई छत्तीसगढ़

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।