ग़ज़ल - रियाज खान गौहर भिलाई | काव्य स्पर्धा 2024

आप कुछ भी कहें वो बजा है जनाब  और हम कुछ कहें तो खता है जनाब .....

Oct 5, 2024 - 00:03
Oct 5, 2024 - 00:37
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ग़ज़ल - रियाज खान गौहर भिलाई | काव्य स्पर्धा 2024
ग़ज़ल - रियाज खान गौहर भिलाई | काव्य स्पर्धा 2024

ग़ज़ल 

आप कुछ भी कहें वो बजा है जनाब 
और हम कुछ कहें तो खता है जनाब 

ज़ुल्म का बोलबाला हुआ है जनाब 
आदमी बे वजह मर रहा है जनाब 

खुद तो इन्साँ बुरा हो गया है जनाब 
और कहता ज़माना बुरा है जनाब 

आप कुछ भी गलत बोलते ही नहीं 
कान ने ही गलत सुन लिया है जनाब 

खुद तो देखा नहीं आऐना जो कभी 
आऐना वो दिखाने लगा है जनाब 

शिर्फ नारे लगाने से क्या फाऐदा 
आज तक क्या अमल भी हुआ है जनाब 

बद से बदतर सियासत वो करने लगे 
सोचिये आपका फ़र्ज़ क्या है जनाब 

है ये लाज़िम करे फख्र उस पे सभी 
जो वतन के लिये मर मिटा है जनाब 

दूध से वो जला था उसे याद है 
फूक कर छाछ पीने लगा है जनाब 

आग घर में लगाई थी जिसने मिरे 
घर से उसके धूआँ उठ रहा है जनाब 

बात करना तो उनसे मुनासिब नहीं 
दिल में जिनके गुमाँ भर गया है जनाब 

चापलूसी किसी की मैं करता नहीं 
मैने देखा है जो वो लिखा है जनाब 

अब तो गौहर जुबाँ बन्द करके रखो 
आजकल कुछ भी कहना मना है जनाब 

ग़ज़लकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।