ग़ज़ल - रियाज खान गौहर भिलाई | काव्य स्पर्धा 2024
आप कुछ भी कहें वो बजा है जनाब और हम कुछ कहें तो खता है जनाब .....
ग़ज़ल
आप कुछ भी कहें वो बजा है जनाब
और हम कुछ कहें तो खता है जनाब
ज़ुल्म का बोलबाला हुआ है जनाब
आदमी बे वजह मर रहा है जनाब
खुद तो इन्साँ बुरा हो गया है जनाब
और कहता ज़माना बुरा है जनाब
आप कुछ भी गलत बोलते ही नहीं
कान ने ही गलत सुन लिया है जनाब
खुद तो देखा नहीं आऐना जो कभी
आऐना वो दिखाने लगा है जनाब
शिर्फ नारे लगाने से क्या फाऐदा
आज तक क्या अमल भी हुआ है जनाब
बद से बदतर सियासत वो करने लगे
सोचिये आपका फ़र्ज़ क्या है जनाब
है ये लाज़िम करे फख्र उस पे सभी
जो वतन के लिये मर मिटा है जनाब
दूध से वो जला था उसे याद है
फूक कर छाछ पीने लगा है जनाब
आग घर में लगाई थी जिसने मिरे
घर से उसके धूआँ उठ रहा है जनाब
बात करना तो उनसे मुनासिब नहीं
दिल में जिनके गुमाँ भर गया है जनाब
चापलूसी किसी की मैं करता नहीं
मैने देखा है जो वो लिखा है जनाब
अब तो गौहर जुबाँ बन्द करके रखो
आजकल कुछ भी कहना मना है जनाब
ग़ज़लकार
रियाज खान गौहर भिलाई
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