माता पिता क्यों बने बोझ  - डाॅ0 यमुना तिवारी व्यथित | काव्य स्पर्धा 2024

माता पिता क्यों  बने बोझ  असहाय हुए अति क्यों लाचार, निज सुअन दिए क्यों बिसार हर बात में देते क्यों दुत्कार?...

Oct 5, 2024 - 00:08
Oct 5, 2024 - 00:27
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माता पिता क्यों बने बोझ  - डाॅ0 यमुना तिवारी व्यथित | काव्य स्पर्धा 2024
माता पिता क्यों बने बोझ  - डाॅ0 यमुना तिवारी व्यथित | काव्य स्पर्धा 2024

माता पिता क्यों बने बोझ 
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माता पिता क्यों  बने बोझ 
असहाय हुए अति क्यों लाचार,
निज सुअन दिए क्यों बिसार
हर बात में देते क्यों दुत्कार?

बच्चों के पालन पोषण में 
कितने कष्टों को झेला,
पूरा किए उनके सपनों को
अब क्यों पड़ गए अकेला?

पढ़ा लिखाकर योग्य बनाया
अपने सुख को दे तिलांजलि,
उच्च  पद पाकर भूल गए पुत्र 
माँ-बाप की आँखें हुई गिली।

धन दौलत की कमी नहीं
सुत लाखों में खेल रहे हैं,
माँ-बाप हर चीज को तरसे
अब तन्हाई भी झेल रहे हैं।

की धन संचय जिनके लिए 
अब वही उससे करते बंचित,
हाय रे! क्यों कलयुगी बेटा 
तेरा दिल नहीं होता व्यथित?

जो तुम कर रहे हो आज
तेरा बेटा भी है रहा निहार,
जब हो जाओगे तुम बुढ़ा
करेगा वह भी ऐसा व्यवहार। 
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डाॅ0 यमुना तिवारी व्यथित 
         (कार्यकारी अध्यक्ष, साहित्य   (समिति, तुलसीभवन)

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।