Patamda Protest: जमशेदपुर के पटमदा में 'अहीरा गीत' गाने पर आपराधिक चरित्र के युवकों ने एक परिवार पर किया जानलेवा हमला, छह लोग बुरी तरह घायल
जमशेदपुर के पटमदा थाना क्षेत्र में सोमवार रात दीपावली और काली पूजा के दौरान पुराने विवाद के चलते एक परिवार के छह लोगों पर जानलेवा हमला हुआ। परिवार 'अहीरा गीत' गा रहा था, जिसका आपराधिक चरित्र के युवकों ने विरोध किया। हमले के बाद पीड़ितों ने गोली मारने की धमकी मिलने का भी आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए थाने में हंगामा किया।
दीपावली और काली पूजा के पवित्र पर्व पर भी अगर जमीन पर कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ती दिखें, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। जमशेदपुर के पटमदा थाना क्षेत्र के पटमदा बस्ती में सोमवार रात करीब 9 बजे पुराने विवाद ने भयानक रूप ले लिया, जब एक परिवार के छह लोगों पर जानलेवा हमला किया गया। पीड़ितों की ओर से थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी जब आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो आक्रोशित ग्रामीणों ने रात करीब 12 बजे तक पटमदा थाने में जबरदस्त हंगामा किया।
शिकायतकर्ता दिलीप प्रमाणिक ने पुलिस को बताया कि काली पूजा के शुभ अवसर पर उनके परिवार के लोग ढोल नगाड़े के साथ पारंपरिक 'अहीरा गीत' गाते हुए पर्व मना रहे थे। इसी दौरान गांव के ही कुछ आपराधिक चरित्र के लड़कों ने अचानक इसका विरोध करना शुरू कर दिया और गाली-गलौज पर उतर आए।
पारंपरिक खुशी बनी झगड़े की वजह
जब दिलीप प्रमाणिक ने इसका विरोध किया, तो आरोपियों का गुस्सा भड़क उठा। उन्होंने मिलकर दिलीप प्रमाणिक, उनकी पत्नी देवती प्रमाणिक, पुत्र गौतम प्रमाणिक व तापस प्रमाणिक तथा भतीजा प्रधान प्रमाणिक व उत्तम प्रमाणिक को मारपीट कर बुरी तरह से घायल कर दिया। हमले के पीछे सोनू प्रमाणिक, सफीख शेख, जयप्रकाश प्रमाणिक समेत कुल सात आरोपियों का नाम दिया गया है। इस हिंसक वारदात ने पूरी बस्ती में दहशत फैला दी।
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गोली मारने की धमकी: दिलीप प्रमाणिक ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि हादसे के बाद जब वे थाना पहुंचे, तो पीछे से आए आरोपियों ने उन्हें गोली मारकर हत्या करने की भी धमकी दी।
थाने में हंगामा: आश्वासन के बाद शांत हुए ग्रामीण
घायलों को माचा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र **(CHC) अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। लेकिन सबसे बड़ी हलचल थाने में मची, जहां हमलावरों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर दर्जनों ग्रामीणों ने देर रात तक जबरदस्त हंगामा किया। थाना प्रभारी करमपाल भगत ने देर रात को ही प्राथमिकी दर्ज करने के पश्चात ग्रामीणों को जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया।
यह घटना जमशेदपुर में बढ़ते आपराधिक चरित्र और तुच्छ विवादों के खूनी रूप लेने की प्रवृत्ति को दर्शाती है। पुलिस के आश्वासन के बाद फिलहाल माहौल शांत है, लेकिन पूरा पटमदा बस्ती अभी भी दहशत में है। यह देखना बाकी है कि पुलिस कितनी जल्दी दोषियों को पकड़ती है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाती है।
आपकी राय में, झारखंड में पारंपरिक आयोजनों के दौरान आपराधिक चरित्र के लोगों द्वारा हिंसा को रोकने और शांति बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन को त्योहारों से पहले कौन से दो सबसे प्रभावी और निवारक कदम उठाने चाहिए?
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