Jharkhand Election Debate: हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- ट्रिपल टेस्ट की आड़ में नगर निकाय चुनाव को टालना गलत

झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में देरी पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट की आड़ में चुनाव को स्थगित करना गलत है। जल्द चुनाव कराए जाने के निर्देश।

Jan 13, 2025 - 20:50
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Jharkhand Election Debate: हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- ट्रिपल टेस्ट की आड़ में नगर निकाय चुनाव को टालना गलत
Jharkhand Election Debate: हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- ट्रिपल टेस्ट की आड़ में नगर निकाय चुनाव को टालना गलत

झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को नगर निकाय चुनाव को लेकर अहम सुनवाई की। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया का बहाना बनाकर चुनाव को टालना गलत है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बिना देरी के चुनाव कराए जाएं।

क्या है पूरा मामला?

झारखंड हाईकोर्ट में प्रार्थी रोशनी खलखो ने नगर निकाय चुनाव में देरी को लेकर याचिका दायर की थी। उनकी ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने दलील दी कि चुनाव को बेवजह लंबित रखा जा रहा है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो रही है।

राज्य सरकार ने कोर्ट में सफाई देते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट पूरा करने की प्रक्रिया जारी है, जिसके बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिना ट्रिपल टेस्ट पूरा किए भी चुनाव कराए जा सकते हैं।

क्या है ट्रिपल टेस्ट?

ट्रिपल टेस्ट एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जो आरक्षण से जुड़े तीन मुख्य परीक्षणों पर आधारित है:

  1. जनगणना आंकड़ों का विश्लेषण
  2. पिछड़े वर्गों के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना
  3. सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया लंबित है, तो भी चुनाव रोके नहीं जा सकते।

हाईकोर्ट की सख्ती – चुनाव जल्द कराएं

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा:
"लोकतांत्रिक प्रक्रिया में देरी गंभीर मामला है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद चुनाव में देरी करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।"

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने अब तक नई मतदाता सूची उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में देरी हो रही है।

लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची का मुद्दा चुनाव टालने का आधार नहीं हो सकता।

इतिहास: झारखंड में निकाय चुनावों में देरी क्यों होती रही है?

झारखंड में नगर निकाय चुनाव लंबे समय से विवादों में रहे हैं। इससे पहले भी आरक्षण नीति और मतदाता सूची अपडेट को लेकर चुनाव कई बार टाले गए थे। 2018 में भी आरक्षण नीति को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिना देरी चुनाव कराने का आदेश दिया था।

प्रयास और चुनौतियां

  • सरकारी देरी: राज्य सरकार द्वारा बार-बार प्रक्रिया का हवाला देकर चुनाव टालना।
  • कानूनी पेंच: ट्रिपल टेस्ट जैसी प्रक्रियाओं का सही क्रियान्वयन न होना।
  • प्रशासनिक बाधाएं: मतदाता सूची का समय पर अपडेट न होना।

अगली सुनवाई में क्या होगा?

हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई जल्द तय की है। कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए उम्मीद है कि राज्य सरकार को जल्द चुनाव की घोषणा करनी पड़ सकती है।

जनता पर असर

  • लोकतंत्र में बाधा: चुनावों में देरी से स्थानीय प्रशासनिक कार्यों पर असर पड़ रहा है।
  • जनता की भागीदारी: चुनाव नहीं होने से जनता का विश्वास कम हो सकता है।
  • विकास कार्यों में रुकावट: नगर निकायों के चुनाव न होने से कई विकास योजनाएं अधर में लटकी हैं।

क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है:

  • ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया लंबी है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जा सकता।
  • बिना चुनाव कराए प्रशासकों के माध्यम से शासन लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है।

जल्द हो सकते हैं चुनाव?

झारखंड हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद नगर निकाय चुनाव जल्द कराए जाने की संभावना बढ़ गई है। राज्य सरकार को अब कानूनी बाध्यताओं का पालन करते हुए, जनता के हित में चुनाव संपन्न कराने होंगे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।