Jamshedpur Festival Begins: दोमुहानी संगम महोत्सव का भव्य आगाज, गंगा आरती से गूंजेगा शहर
जमशेदपुर के दोमुहानी संगम स्थल पर भव्य दोमुहानी संगम महोत्सव का आयोजन हुआ। गंगा आरती, पर्यावरण गोष्ठी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ, श्रद्धा और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला।
जमशेदपुर में श्रद्धा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संगम देखने को मिला। लौहनगरी के सोनारी स्थित दोमुहानी संगम स्थल पर दोमुहानी संगम महोत्सव का भव्य शुभारंभ किया गया। हिंदू उत्सव समिति और उम्मीद एक अभियान द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव के पहले दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पर्यावरण जागरूकता अभियानों का आयोजन किया गया।
गंगा आरती का आज होगा भव्य आयोजन
महोत्सव के दूसरे दिन, 14 जनवरी 2025 को भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा। यह आरती विशेष रूप से सुवर्णरेखा और खरकई नदी के संगम पर आयोजित होगी। माना जाता है कि इस पावन संगम का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, जहां गंगा आरती से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
महोत्सव की भव्य शुरुआत
13 जनवरी को महोत्सव का शुभारंभ गणेश वंदना और छात्रों द्वारा सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुति से किया गया। इसके बाद प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. दिनेश मिश्र और प्रोफेसर डॉ. कविता परमार ने पर्यावरण गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए।
पर्यावरणविदों के महत्वपूर्ण विचार
डॉ. दिनेश मिश्र ने सुवर्णरेखा नदी की ऐतिहासिक और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा:
"नदियां हमारी माताएं हैं, लेकिन आज हम इन्हें कूड़े और प्लास्टिक से दूषित कर रहे हैं। यदि हम अपनी नदियों का सम्मान नहीं करेंगे, तो यह हमारे भविष्य पर गहरा असर डालेगा।"
वहीं, सेंट्रल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. कविता परमार ने कहा:
"नदी को गंदा करना एक पाप के समान है। यदि हम नदियों को माता का दर्जा देते हैं, तो उन्हें स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है। घर का प्लास्टिक कचरा एक बोतल में भरकर इकट्ठा करें, ताकि यह पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।"
बच्चों ने दिखाई रचनात्मकता – चित्रांकन प्रतियोगिता
महोत्सव में दस स्कूलों के बच्चों ने पर्यावरण बचाओ थीम पर चित्रांकन प्रतियोगिता में भाग लिया। इस प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों ने कला के जरिये पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा 14 जनवरी को की जाएगी।
सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों का जलवा
महोत्सव के पहले दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी हुआ, जिसमें जमशेदपुर के लोकप्रिय कलाकार दुलरुआ ने भजन और गीतों की सुंदर प्रस्तुति दी। उनके मधुर सुरों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी
इस आयोजन में हिंदू उत्सव समिति के संरक्षक शिव शंकर सिंह, अध्यक्ष रवि सिंह, सुखदेव सिंह, अभिमन्यु सिंह, झरना मिश्रा, किशोर सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इन सामाजिक संगठनों ने महोत्सव को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
इतिहास: सुवर्णरेखा और खरकई का संगम
दोमुहानी संगम, जहां सुवर्णरेखा और खरकई नदियां मिलती हैं, ऐतिहासिक रूप से पवित्र स्थल माना जाता है। प्राचीन काल में इसे धार्मिक अनुष्ठानों और ध्यान के लिए महत्वपूर्ण स्थान माना जाता था। इस महोत्सव का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना है, बल्कि पर्यावरण जागरूकता भी फैलाना है।
क्या सीख मिली इस महोत्सव से?
- आस्था और पर्यावरण संरक्षण का समन्वय: महोत्सव ने दिखाया कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से भी पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जा सकता है।
- बच्चों की भागीदारी: बच्चों ने अपने चित्रों और विचारों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
- स्थानीय कला और संस्कृति का प्रचार: जमशेदपुर के कलाकारों को मंच मिला, जिससे स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिला।
उम्मीद: क्या आगे भी होंगे ऐसे आयोजन?
इस महोत्सव ने जमशेदपुर में पर्यावरण और संस्कृति को एक नई दिशा दी है। आयोजकों ने संकेत दिया है कि भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।
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