Jamshedpur Subsidy Crisis: टाटा स्टील ने कैंटीन सब्सिडी पर लगाई रोक, कर्मचारियों में नाराजगी

जमशेदपुर के टाटा स्टील प्लांट में कैंटीन सब्सिडी बंद करने का निर्णय, कंपनी ने बताया आर्थिक चुनौतियों का कारण। जानें कर्मचारियों पर इसका प्रभाव।

Dec 24, 2024 - 18:57
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Jamshedpur Subsidy Crisis: टाटा स्टील ने कैंटीन सब्सिडी पर लगाई रोक, कर्मचारियों में नाराजगी
Jamshedpur Subsidy Crisis: टाटा स्टील ने कैंटीन सब्सिडी पर लगाई रोक, कर्मचारियों में नाराजगी

जमशेदपुर: टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में एक बड़ा बदलाव हुआ है, जो कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। कंपनी ने सेंट्रल कैंटीन में दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने का फैसला किया है। यह कदम कर्मचारियों के लिए लंबे समय से चली आ रही सुविधाओं में कटौती की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

बैठक में हुआ बड़ा ऐलान

मंगलवार को हुई सेंट्रल कैंटीन मैनेजमेंट कमेटी (CCMC) की बैठक में कंपनी के चेयरमैन और चीफ एचआरएम, मुकेश अग्रवाल ने स्पष्ट कर दिया कि अब सब्सिडी जारी रखना संभव नहीं है। बैठक में टाटा वर्कर्स यूनियन के सहायक सचिव नितेश राज ने भी वाइस चेयरमैन के रूप में भाग लिया।

मुकेश अग्रवाल ने कहा,
"जमशेदपुर प्लांट में कैंटीन पर खर्च अन्य सभी प्लांट्स से कहीं अधिक है। इस पर रोक लगाना हमारी प्राथमिकता है।"

उन्होंने यह भी बताया कि कैंटीन पर कुल 69 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जिसमें से केवल 24 करोड़ रुपये ही कर्मचारियों से आते हैं। बाकी का 45 करोड़ रुपये प्रबंधन को वहन करना पड़ता है।

इतिहास में झांकें तो…

टाटा स्टील का जमशेदपुर प्लांट 1907 में स्थापित हुआ था। इसकी शुरुआत के समय से ही कर्मचारियों को कैंटीन में किफायती खाना और नाश्ता उपलब्ध कराया जाता रहा है। यह सुविधा देश के औद्योगिक विकास के एक मील के पत्थर के रूप में देखी जाती थी। टाटा स्टील ने अपने कर्मचारियों की भलाई को हमेशा प्राथमिकता दी है।

लेकिन बदलते समय के साथ, कंपनी अब आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है। एक समय था जब यह कैंटीन नाममात्र की कीमत पर खाना और नाश्ता देती थी, लेकिन अब "नो प्रॉफिट, नो लॉस" मॉडल पर चलने की योजना है।

कर्मचारियों में गुस्सा

सब्सिडी बंद होने की खबर कर्मचारियों के लिए किसी झटके से कम नहीं है। एक कर्मचारी ने गुस्से में कहा,
"यह फैसला न केवल हमारी सुविधाओं में कटौती है, बल्कि हमारी मेहनत और वफादारी का अपमान भी है। कैंटीन सब्सिडी हमारे जीवन का अहम हिस्सा रही है।"

कर्मचारियों का कहना है कि इस कदम से उन्हें आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा, जो पहले कंपनी वहन करती थी।

कंपनी का रुख

कंपनी का कहना है कि यह फैसला आर्थिक चुनौतियों के कारण लिया गया है। टाटा स्टील ने हाल ही में अधिकारियों की सुविधाओं में कटौती की थी, और अब कर्मचारियों की सुविधाएं भी इसके दायरे में आ गई हैं।

आगे की राह

CCMC बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कैंटीन की खाद्य सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि की जाएगी। कंपनी ने स्पष्ट किया कि सब्सिडी हटाने के बाद कैंटीन का संचालन "नो प्रॉफिट, नो लॉस" के आधार पर किया जाएगा।

कर्मचारियों का भविष्य

इस फैसले से टाटा स्टील के अन्य प्लांट्स पर भी असर पड़ सकता है। जमशेदपुर प्लांट में इस कदम को "पायलट प्रोजेक्ट" के रूप में देखा जा रहा है, जिसे बाद में अन्य प्लांट्स में लागू किया जा सकता है।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम कंपनी की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उठाया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कटौती का अंत है, या आने वाले समय में कर्मचारियों को और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

टाटा स्टील का यह फैसला कर्मचारियों के लिए बड़ा बदलाव है। एक ओर जहां कंपनी इसे आर्थिक मजबूरी बता रही है, वहीं कर्मचारियों के लिए यह उनकी सुविधाओं और अधिकारों में कटौती जैसा महसूस हो रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का कर्मचारियों और कंपनी के बीच के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।