Bermo Mining: कारो कोयला खदान में करोड़ों का ठेका फाइनल, जल्द शुरू होगा उत्पादन!

बेरमो के कारो परियोजना में 321 करोड़ का ठेका फाइनल, जल्द होगा कोयला उत्पादन। जानिए क्या है ओबी निस्तारण और खनन प्रक्रिया की पूरी डिटेल।

Jan 11, 2025 - 09:57
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Bermo Mining: कारो कोयला खदान में करोड़ों का ठेका फाइनल, जल्द शुरू होगा उत्पादन!
Bermo Mining: कारो कोयला खदान में करोड़ों का ठेका फाइनल, जल्द शुरू होगा उत्पादन!

बेरमो: सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) के बीएंडके प्रक्षेत्र के अंतर्गत कारो कोयला परियोजना में जल्द ही कोयला खनन और ओबी (ओवर बर्डन) निस्तारण का कार्य तेज होने वाला है। सीसीएल मुख्यालय ने इस परियोजना को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दिसंबर 2024 में 321 करोड़ रुपये का ठेका फाइनल किया है।

यह ठेका दिव्या कॉनकॉस्ट एंड कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला है, जो अगले चार वर्षों में 13 मिलियन घन मीटर ओबी निस्तारण और लगभग 24 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य पूरा करेगी।

क्या है कारो परियोजना?

कारो परियोजना झारखंड के बेरमो क्षेत्र में स्थित एक खुली कोयला खदान (Open Cast Project) है। यह पूरा क्षेत्र वन भूमि के अंतर्गत आता है, जिस कारण इसे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से स्टेज-1 और स्टेज-2 की मंजूरी मिल चुकी है।

321 करोड़ के टेंडर की डिटेल:

  • कंपनी का नाम: दिव्या कॉनकॉस्ट एंड कंस्ट्रक्शन्स प्रालि
  • कुल ठेका राशि: ₹321 करोड़ (18% GST अलग)
  • अवधि: 4 साल
  • काम:
    • 13 मिलियन घन मीटर ओबी निस्तारण
    • 24 मिलियन टन कोयला उत्पादन
  • प्रारंभिक कोयला उत्पादन: सालाना 3.5 मिलियन टन

यहां की कुल कोयला क्षमता: 60 मिलियन टन

कोयला खनन शुरू होने में देरी क्यों?

हालांकि ठेका फाइनल हो गया है, लेकिन अभी भी कई प्रक्रियाएं बाकी हैं। सीसीएल प्रबंधन को कई महत्वपूर्ण कार्य पूरे करने हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. वन विभाग से जमीन हैंडओवर:
    • वन विभाग (DFO) से परियोजना स्थल की जमीन का हस्तांतरण।
  2. ट्री फेलिंग परमिशन:
    • पेड़ काटने की अनुमति लेना।
  3. पेड़ों का रिकॉर्ड:
    • गिरिडीह स्थित स्टोर में कटे हुए पेड़ों को जमा करने की प्रक्रिया।
  4. सीएमपीडीआई सर्वे:
    • कोल इंडिया की सहायक संस्था सीएमपीडीआई से ओजीएल (Original Ground Level) डेटा लेकर क्षेत्र का सर्वेक्षण।

खनन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

भारत में कोयला खनन का इतिहास 1774 में रानीगंज कोलफील्ड्स से शुरू हुआ था। झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ कोयला उत्पादन के प्रमुख केंद्र रहे हैं। सीसीएल भारत सरकार की सहायक कंपनी है, जो झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में कोयला खनन का कार्य करती है।

क्या है ओबी निस्तारण?

ओवर बर्डन (OB) खनन के दौरान जमीन की ऊपरी परत होती है, जिसे हटाकर कोयला निकाला जाता है। इसे पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निस्तारित करना आवश्यक होता है।

सीसीएल का क्या है लक्ष्य?

सीसीएल ने कारो खदान के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य तय किए हैं:

  • शुरुआती उत्पादन: 3.5 मिलियन टन
  • आने वाले वर्षों में: 11 से 15 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन

प्रोजेक्ट पदाधिकारी का बयान:

एस.के. सिन्हा, परियोजना पदाधिकारी ने कहा:
"खनन प्रक्रिया शुरू होने में कुछ प्रक्रियाएं शेष हैं। जल्द ही सभी औपचारिकताएं पूरी कर कोयला उत्पादन शुरू किया जाएगा।"

बेरमो के कारो परियोजना में 321 करोड़ रुपये का ठेका मिलना क्षेत्र के विकास और कोयला उत्पादन में महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, वन विभाग और अन्य प्रक्रियाओं के कारण कार्य में देरी हो रही है। उम्मीद है कि ये बाधाएं जल्द ही दूर कर दी जाएंगी, जिससे कोयला उत्पादन शुरू किया जा सकेगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।