Galudih Crisis: सब्जियों के दाम गिरने से किसान बेहाल, लागत भी नहीं निकल रही!

गालूडीह में सब्जियों की बंपर पैदावार के कारण दामों में भारी गिरावट। फूल गोभी 5 रुपये किलो, टमाटर और बैंगन 20 रुपये किलो तक पहुंचा। जानिए क्यों हो रहे हैं किसान परेशान।

Jan 11, 2025 - 09:50
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Galudih Crisis: सब्जियों के दाम गिरने से किसान बेहाल, लागत भी नहीं निकल रही!
Galudih Crisis: सब्जियों के दाम गिरने से किसान बेहाल, लागत भी नहीं निकल रही!

गालूडीह: झारखंड के गालूडीह में सब्जी उगाने वाले किसानों की हालत इन दिनों बेहद चिंताजनक हो गई है। बंपर पैदावार होने के बावजूद उन्हें अपनी सब्जियों के औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि लागत निकालना तो दूर, मेहनत का मुनाफा भी नहीं मिल पा रहा है।

क्या है सब्जियों के दाम गिरने की वजह?

गालूडीह और आसपास के क्षेत्रों में इस बार सब्जियों की भरपूर पैदावार हुई है। खासकर फूल गोभी, टमाटर, बैंगन, पालक और पत्ता गोभी जैसी सब्जियों की उपज काफी अधिक रही। लेकिन मांग कम होने के कारण मंडियों में दाम तेजी से गिर गए हैं।

तुलनात्मक कीमतें (पिछले माह और अब):

  • फूल गोभी: 30 रुपये → 5 रुपये (प्रति पीस)
  • पत्ता गोभी: 40 रुपये → 10 रुपये (प्रति पीस)
  • पालक: 60 रुपये → 20 रुपये (प्रति किलो)
  • टमाटर: 60 रुपये → 20 रुपये (प्रति किलो)
  • बैंगन: 60 रुपये → 20 रुपये (प्रति किलो)
  • बीन्स: 60 रुपये → 40 रुपये (प्रति किलो)
  • मूली: 40 रुपये → 10 रुपये (प्रति किलो)
  • लौकी: 30 रुपये → 10 रुपये (प्रति पीस)

इतिहास में सब्जियों के दामों का उतार-चढ़ाव क्यों?

भारत में सब्जियों के दामों में गिरावट और उछाल एक सामान्य प्रक्रिया है। विशेषकर त्योहारी सीजन के बाद मांग कम हो जाती है, जिससे दाम गिरते हैं। खासकर मकर संक्रांति के बाद सब्जियों की मांग कम होने लगती है, क्योंकि लोग त्योहारों के दौरान अधिक सब्जियां खरीदते हैं।

किसानों की परेशानी क्यों बढ़ी?

  • बंपर पैदावार: इस बार मौसम अनुकूल रहने के कारण फूल गोभी और पत्ता गोभी जैसी सब्जियों की बंपर पैदावार हुई।
  • मांग में कमी: जमशेदपुर और आसपास के बाजारों में अधिक मात्रा में सब्जियां भेजी जा रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं की मांग कम है।
  • व्यापारियों का शोषण: मंडियों में व्यापारियों द्वारा किसानों से कम दामों पर खरीदारी की जा रही है।
  • लॉजिस्टिक्स की कमी: स्थानीय बाजारों के अलावा सब्जियों को दूसरे राज्यों में भेजने की व्यवस्था नहीं है।

किसानों की राय:

गालूडीह के किसान रामलाल महतो ने कहा:
"हमारी लागत भी नहीं निकल रही है। 5 रुपये में फूल गोभी बेचनी पड़ रही है, जबकि इसे उगाने में ही 10 रुपये प्रति गोभी का खर्च आता है। मुनाफा छोड़िए, अब नुकसान झेलना पड़ रहा है।"

किसानों के लिए क्या है समाधान?

विशेषज्ञों के सुझाव:

  • प्रोसेसिंग यूनिट: फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स खोलने की जरूरत, जहां बची हुई सब्जियों का अचार, सूप और अन्य उत्पाद बनाए जा सकें।
  • कोल्ड स्टोरेज सुविधा: सब्जियों को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा आवश्यक।
  • सरकारी हस्तक्षेप: सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे कदम उठाने चाहिए, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिल सके।
  • डायरेक्ट मार्केटिंग: किसानों को मंडी व्यापारियों पर निर्भर होने की बजाय ई-मंडी और डायरेक्ट कस्टमर सेलिंग पर ध्यान देना चाहिए।

क्या मकर संक्रांति के बाद सुधरेंगे हालात?

किसानों को उम्मीद है कि मकर संक्रांति के बाद सब्जियों की मांग बढ़ेगी और दामों में सुधार होगा। त्योहारों के दौरान खपत बढ़ने के कारण कीमतें स्थिर हो सकती हैं।

गालूडीह में सब्जियों के दामों में भारी गिरावट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बंपर पैदावार और कम मांग के कारण लागत तक नहीं निकल रही है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को किसानों की मदद के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।