Chaibasa Suicide: हॉस्टल में छात्र ने लगाई फांसी, रहस्यमय परिस्थितियों में मौत!
चाईबासा आईटीआई कॉलेज के आदिम जनजाति छात्रावास में 20 वर्षीय छात्र ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, पुलिस कर रही जांच। जानिए, किन रहस्यमय परिस्थितियों में हुई यह घटना।
चाईबासा: चाईबासा के आईटीआई कॉलेज के आदिम जनजाति छात्रावास में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जब 20 वर्षीय छात्र भादो राम हांसदा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया के खड़बांधा गांव का रहने वाला था और व्यवसाय मशीनिष्ट के प्रशिक्षण के लिए छात्रावास में रह रहा था।
गुरुवार शाम हुई इस घटना के बाद पूरे कॉलेज में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही मुफस्सिल पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। शुक्रवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार शाम करीब 4 बजे छात्रावास के अन्य छात्र फुटबॉल खेलने मैदान गए थे। भादो राम हांसदा उस समय अपने कमरे में अकेला था। खेलकर लौटने पर छात्रों ने देखा कि भादो के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। दरवाजा खटखटाने और आवाज देने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
छात्रों ने तुरंत कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य को इसकी सूचना दी। प्राचार्य ने भी दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। इसके बाद मुफस्सिल पुलिस को सूचना दी गई। जब पुलिस पहुंची तो दरवाजा तोड़कर अंदर का दृश्य देख सब स्तब्ध रह गए। भादो का शव फंदे से लटका हुआ था।
रहस्यमय परिस्थितियों में मौत – आखिर क्यों की आत्महत्या?
पुलिस ने मामले में यूडी केस (Unnatural Death) दर्ज किया है। मृतक के मोबाइल को जब्त कर लिया गया है और जांच जारी है।
मृतक के परिजनों ने बताया कि भादो उनके परिवार का इकलौता बेटा था। उसने हाल ही में आईटीआई की फाइनल परीक्षा दी थी और मकर पर्व के दौरान घर लौटने की बात कही थी। परिजनों ने यह भी बताया कि बेटे के व्यवहार में कोई असामान्यता नहीं थी।
इतिहास: आदिम जनजाति छात्रावास और इसकी पृष्ठभूमि
चाईबासा का आदिम जनजाति छात्रावास राज्य के आदिवासी छात्रों के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहां विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों के छात्र रहकर तकनीकी शिक्षा प्राप्त करते हैं।
हालांकि, छात्रावासों में मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत समस्याओं पर ध्यान देने की कमी अक्सर देखी जाती है।
पुलिस की जांच जारी, किन सवालों के जवाब बाकी?
- मोबाइल डेटा: क्या भादो ने किसी को आखिरी मैसेज किया था?
- पारिवारिक दबाव या परीक्षा तनाव?
- छात्रों और प्राचार्य के बयान: क्या भादो किसी मानसिक तनाव से गुजर रहा था?
क्या कहना है विशेषज्ञों का?
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कॉलेजों और छात्रावासों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बेहद जरूरी है। कई बार परीक्षा का तनाव और व्यक्तिगत समस्याएं छात्रों को गहरे अवसाद में धकेल देती हैं।
जरूरी कदम जो उठाए जाने चाहिए:
- मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग: छात्रावासों में नियमित काउंसलिंग सेशन होने चाहिए।
- मेंटल हेल्थ अवेयरनेस: शिक्षकों और प्राचार्यों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
- अभिभावकों की भागीदारी: परिजनों को नियमित रूप से अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पूछने चाहिए।
भादो राम हांसदा की रहस्यमय आत्महत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस की जांच जारी है, लेकिन यह घटना छात्रावासों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही को उजागर करती है। जरूरत है कि इस मामले से सीख लेकर सभी छात्रावासों में सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दिया जाए।
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