Tatanagar Rescue: अब स्टेशन पर लावारिस बच्चों को मिलेगा तुरंत सहारा, फिर से शुरू हुआ चाइल्ड लाइन सेंटर
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर चाइल्ड लाइन सेंटर एक बार फिर शुरू किया गया है। प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर स्थित यह सेंटर लावारिस बच्चों की तत्काल सहायता के लिए 24 घंटे तैयार रहेगा। जानिए इसकी खासियत और संपर्क की पूरी प्रक्रिया।

जमशेदपुर, झारखंड: टाटानगर रेलवे स्टेशन पर लावारिस और जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए एक बार फिर चाइल्ड लाइन सेंटर की वापसी हो गई है। वर्षों बाद प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर जीआरपी थाना के ठीक सामने यह सेंटर फिर से सक्रिय किया गया है, जिससे अब रेलवे परिसर में अकेले या संकट में दिखने वाले बच्चों को तुरंत मदद पहुंचाई जा सकेगी।
क्यों जरूरी थी चाइल्ड लाइन सेंटर की वापसी?
रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों पर मानव तस्करी, बाल शोषण और गुमशुदगी जैसे मामलों का खतरा हमेशा बना रहता है। टाटानगर स्टेशन पर पहले भी चाइल्ड लाइन सेंटर संचालित होता था, लेकिन करीब दो साल पहले यह बंद कर दिया गया था। इसके बाद कई बार ऐसी घटनाएं सामने आईं, जब यात्रियों या पुलिस को लावारिस बच्चों को लेकर असमंजस में रहना पड़ा।
अब, इस सेंटर की फिर से शुरुआत से यह समस्या काफी हद तक हल हो सकेगी और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता मिलेगी।
कहां है नया सेंटर और कैसे करेगा काम?
यह सेंटर प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर जीआरपी थाना के सामने बनाया गया है।
यहां 24 घंटे कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी मौजूद रहेंगे, जिससे किसी भी समय मिलने वाले बच्चों को त्वरित सहायता मिल सके।
यदि कोई बच्चा अकेला या असहाय नजर आए, तो कोई भी व्यक्ति 1098 नंबर पर कॉल कर सूचना दे सकता है या बच्चे को सीधे इस चाइल्ड लाइन सेंटर तक ला सकता है।
कैसे मिलेगी मदद?
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सूचना देने पर चाइल्ड लाइन टीम और रेलवे पुलिस मौके पर पहुंचेगी।
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बच्चे को सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा, जहां उसे भोजन, कपड़े और प्राथमिक देखभाल दी जाएगी।
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परिवार या अभिभावक से संपर्क किया जाएगा।
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यदि कोई नहीं मिलता, तो बच्चे को कानूनी प्रक्रिया के तहत किसी मान्यता प्राप्त संस्था को सौंपा जाएगा।
संयुक्त प्रयास: आरपीएफ और जीआरपी का सराहनीय कदम
इस सेंटर की स्थापना रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राज्य पुलिस बल (GRP) के सहयोग से की गई है। दोनों एजेंसियां स्टेशन पर बच्चों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगी।
जीआरपी थाना प्रभारी राम प्यारे राम ने लोगों से अपील की है कि वे जागरूकता दिखाएं और अगर स्टेशन पर कोई बच्चा असहाय नजर आए, तो 1098 पर कॉल कर सहायता प्रदान करें।
चाइल्ड लाइन 1098: बच्चों के लिए जीवन रेखा
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई चाइल्ड लाइन सेवा (1098) देश का पहला और एकमात्र 24x7 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर है, जो संकटग्रस्त बच्चों को मुफ्त सहायता प्रदान करता है। यह सेवा 1996 में शुरू की गई थी और अब देशभर के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और सार्वजनिक स्थलों पर फैली हुई है।
स्टेशन पर बच्चों के लिए क्यों ज़रूरी है निगरानी?
रेलवे स्टेशन वह स्थान होता है, जहां बड़ी संख्या में यात्री, प्रवासी, और श्रमिक वर्ग के लोग आते-जाते रहते हैं। कई बार छोटे बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ जाते हैं या घर से भागे हुए बच्चे स्टेशन पर आकर भटकते रहते हैं। ऐसे में यह सेंटर इन बच्चों को सुरक्षित माहौल देने का काम करेगा।
सुरक्षा की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
चाइल्ड लाइन सेंटर की वापसी से टाटानगर रेलवे स्टेशन एक बार फिर बच्चों के लिए सुरक्षित स्पेस बन गया है। यह सेंटर न केवल जरूरतमंद बच्चों की मदद करेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी जागरूकता और संवेदनशीलता की दिशा में प्रेरित करेगा।
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