Ranchi Politics: बन्ना गुप्ता को बड़ी जिम्मेदारी, झारखंड कांग्रेस में बड़ा फेरबदल!
झारखंड कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव! पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता को रांची महानगर कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया, जबकि बलजीत सिंह बेदी को पूर्वी सिंहभूम का प्रभार सौंपा गया। जानें पूरी खबर।

रांची: झारखंड कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव हुआ है! पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता को रांची महानगर कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है, जबकि बलजीत सिंह बेदी को पूर्वी सिंहभूम का प्रभार सौंपा गया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जारी की नई सूची, 17 जिलों में प्रभारियों की नियुक्ति!
बन्ना गुप्ता को मिली अहम जिम्मेदारी, क्या इससे रांची कांग्रेस को नया नेतृत्व मिलेगा?
झारखंड कांग्रेस में क्यों किया गया बदलाव?
झारखंड में 2024 के लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अब 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इसी रणनीति के तहत झारखंड कांग्रेस ने 17 जिलों के लिए नए प्रभारी नियुक्त किए हैं।
क्या यह फेरबदल 2025 के चुनावों में कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित होगा?
कौन-कौन बने जिला प्रभारी?
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने रांची महानगर का प्रभार पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता को सौंपा है। वहीं, रांची ग्रामीण की जिम्मेदारी शहजादा अनवर को दी गई है।
अन्य प्रमुख नियुक्तियां:
डॉ. राजेश गुप्ता - लोहरदगा
बंधु तिर्की - गुमला
रमा खलखो - सिमडेगा
योगेंद्र साव - खूंटी
जलेश्वर महतो - हजारीबाग
जेपी पटेल - गिरिडीह
धीरज प्रसाद साहू - चतरा
प्रदीप तुलस्यान - रामगढ़
अशोक चौधरी - धनबाद
बादल पत्रलेख - बोकारो
अनवर अहमद अंसारी - कोडरमा
विनय सिन्हा दीपू - पलामू
सत्यनारायण सिंह - गढ़वा
भीम कुमार - लातेहार
बलजीत सिंह बेदी - पूर्वी सिंहभूम
ये सभी नेता अप्रैल, मई और जून 2025 के लिए अपने-अपने जिलों का प्रभार संभालेंगे।
बन्ना गुप्ता को क्यों सौंपी गई यह जिम्मेदारी?
बन्ना गुप्ता झारखंड कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं।
वह स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं और संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं।
रांची महानगर कांग्रेस में नई ऊर्जा भरने की उम्मीद के साथ उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।
झारखंड कांग्रेस की रणनीति क्या है?
2024 में कांग्रेस ने झारखंड में कमजोर प्रदर्शन किया, जिसे सुधारने के लिए नए संगठनात्मक बदलाव किए जा रहे हैं।
प्रदेश स्तर पर मजबूत नेताओं को जिलों की जिम्मेदारी देकर संगठन को फिर से मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन सुधारने के लिए यह कदम उठाया गया है।
क्या यह बदलाव कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झारखंड कांग्रेस को अब ज़मीनी स्तर पर संगठन मजबूत करने की जरूरत है।
अगर नए प्रभारी जिलों में कांग्रेस को मजबूत कर पाए, तो 2025 के चुनावों में पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है।
आपकी राय?
क्या झारखंड में कांग्रेस का यह नया संगठनात्मक बदलाव असर दिखाएगा? नीचे कमेंट करें और अपनी राय दें!
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