Ramgarh Explosion : बॉयलर धमाके से हिला पावर प्लांट, मजदूरों की हालत नाजुक
रामगढ़ के श्रीराम पावर प्लांट में बॉयलर धमाका, दो मजदूर गंभीर रूप से झुलसे। सुरक्षा व्यवस्था पर उठे बड़े सवाल, प्रबंधन पर लापरवाही और मामले को दबाने के आरोप।
रामगढ़ जिले के कुज्जू ओपी क्षेत्र से सोमवार सुबह एक बड़ी औद्योगिक दुर्घटना की खबर आई, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। श्रीराम पावर प्लांट (Shriram Power Plant) में बॉयलर धमाके (Ramgarh Boiler Explosion) से दो मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए। हादसे के बाद मजदूरों की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है और उन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची के देव कमल अस्पताल रेफर किया गया है।
धमाके से फैली अफरातफरी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह मजदूर नेतलाल ठाकुर और अब्दुल अंसारी बॉयलर के पास काम कर रहे थे। अचानक जोरदार धमाका हुआ और दोनों आग की लपटों में घिर गए। मौके पर चीख-पुकार मच गई और आसपास काम कर रहे अन्य मजदूर जान बचाकर भागे। हादसे के बाद प्लांट परिसर में अफरातफरी का माहौल हो गया।
सुरक्षा पर उठे सवाल
स्थानीय मजदूरों का आरोप है कि श्रीराम पावर प्लांट में सुरक्षा इंतज़ाम बेहद लचर हैं। मजदूरों को बिना पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। सिकंदर अंसारी नामक मजदूर ने बताया कि प्रबंधन मजदूरों से काम तो लेता है, लेकिन उनकी सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखता। इसी लापरवाही के कारण प्लांट में आए दिन हादसे होते रहते हैं।
हादसे को दबाने की कोशिश?
घटना के तुरंत बाद घायल मजदूरों को पहले कैथा स्थित प्राइम हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन हालत गंभीर होने पर उन्हें रांची रेफर कर दिया गया। इस बीच, आरोप है कि प्लांट प्रबंधन पूरी ताकत से इस मामले को दबाने में जुटा हुआ है। न तो स्थानीय प्रशासन को समय पर सही जानकारी दी गई और न ही हादसे की गंभीरता को सार्वजनिक किया गया।
इतिहास में औद्योगिक दुर्घटनाएं और रामगढ़ की स्थिति
रामगढ़ जिला पहले भी औद्योगिक हादसों का गवाह रहा है। कोयला खदानों और पावर प्लांटों वाले इस क्षेत्र में मजदूरों की सुरक्षा हमेशा से बड़ा मुद्दा रही है। भारत में भी औद्योगिक दुर्घटनाओं का इतिहास गवाह है कि लापरवाही कितनी बड़ी कीमत वसूलती है।
1984 का भोपाल गैस त्रासदी देश की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना मानी जाती है, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों प्रभावित हुए। उसके बाद से बार-बार यह मुद्दा उठा कि उद्योगों में मजदूरों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। लेकिन आज भी कई जगह हालात जस के तस बने हुए हैं।
रामगढ़ का यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि मजदूरों की जान के साथ खिलवाड़ कर उद्योगों को चलाना कितना खतरनाक है।
प्रशासन और जनता की नाराज़गी
हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय लोग आक्रोशित हो उठे। उनका कहना है कि जब तक सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं की जाएगी, तब तक मजदूरों की जिंदगी खतरे में बनी रहेगी। ग्रामीणों का आरोप है कि जिला प्रशासन भी इन घटनाओं पर आंखें मूंदे रहता है और प्रबंधन से मिलीभगत करता है।
जांच और कार्रवाई की मांग
मजदूर संगठनों ने सरकार और प्रशासन से इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए होते तो मजदूर इस हादसे से बच सकते थे। स्थानीय लोगों ने दोषी प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है जब सरकार को औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू करना चाहिए। नियम तो बहुत हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता। यह हादसा केवल रामगढ़ के मजदूरों का नहीं, बल्कि पूरे देश के औद्योगिक ढांचे की खामियों को उजागर करता है।
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