Palamu Shock: झारखंड के जंगलों में 'ऑपरेशन डिजिटल अफीम'! बरेली के 4 तस्कर पकड़े गए
झारखंड के पलामू में यूपी के बरेली के तस्कर कैसे धरे गए? क्या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से चलता था लाखों का अफीम नेटवर्क? फर्जी नंबर प्लेट का उपयोग करने के पीछे छिपी थी कौन सी बड़ी साजिश? जानिए एसपी रीष्मा रमेशन की कार्रवाई से चतरा-पलामू सीमावर्ती इलाकों में क्यों मची सनसनी और गिरफ्तार तस्करों ने किन 20 नामों का पर्दाफाश किया!
पलामू, 27 अक्टूबर 2025 - झारखंड के शांत जंगल अब सिर्फ खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि एक खतरनाक अंडरवर्ल्ड नेटवर्क का मुख्य ठिकाना बनते जा रहे हैं, जिसका सीधा तार उत्तर प्रदेश के बरेली और बदायूं तक जुड़ गया है। पलामू पुलिस ने एक साहसिक कार्रवाई में चार अंतरराज्यीय अफीम तस्करों को गिरफ्तार कर एक ऐसे डिजिटल नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसके तार कई जिलों और राज्यों में फैले हुए हैं।
इस गिरफ्तारी ने झारखंड में अफीम के कारोबार के इतिहास में एक नई हैरानीजनक तह को खोल दिया है।
फर्जी नंबर प्लेट ने खोल दिया सारा राज!
गिरफ्तारी लेस्लीगंज थाना क्षेत्र में एक नियमित वाहन चेकिंग अभियान के दौरान हुई, जिसने पुलिस को एक बड़े खुलासे की ओर मोड़ दिया। लेस्लीगंज थाना प्रभारी उत्तम कुमार राय के नेतृत्व में पुलिस ने एक संदिग्ध कार को रोका।
कार सवारों ने अपना पता तो उत्तर प्रदेश के बरेली का बताया, लेकिन गाड़ी पर लगा नंबर प्लेट झारखंड के रांची का था! इस संदेह ने पुलिस को गहन जांच के लिए मजबूर किया। जांच में खुलासा हुआ कि तस्करों ने पुलिस की आँखों में धूल झोंकने के लिए फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किया था।
पुलिस ने मौके से फिरोज अंसारी, शाहनवाज, इरफान और अभय प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया। इन सभी का संबंध बरेली और बदायूं जिले से है, और इनका यूपी में सक्रिय नेटवर्क चलने की जानकारी मिली है।
लाखों की डीलिंग का 'डिजिटल' सबूत
पुलिस को इन तस्करों के पास से जो सबसे चौंकाने वाला सबूत मिला, वह था ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के डिजिटल रिकॉर्ड। जांच में पता चला कि ये तस्कर अफीम की खरीद के लिए पलामू और चतरा के स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को ऑनलाइन माध्यम से लाखों रुपये का भुगतान करते थे।
यह खुलासा इस बात की पुष्टि करता है कि अफीम तस्करी का यह काला कारोबार अब पारंपरिक नकद लेन-देन से हटकर पूरी तरह से डिजिटल हो चुका है, जिससे कारोबार की गुपचुप प्रकृति और भी गहरी हो गई है।
'अफीम की राजधानी' पर छापेमारी का भूचाल!
गिरफ्तार तस्करों ने पूछताछ में जो नाम उगले हैं, उसने पलामू और चतरा पुलिस की नींद उड़ा दी है। तस्करों ने चतरा के 20 से अधिक स्थानीय तस्करों के नाम बताए हैं, जो सीधे तौर पर अफीम की खेती और तस्करी में शामिल हैं।
सबसे गंभीर खुलासा यह है कि पिपराटांड़ थाना क्षेत्र का एक गांव इस पूरे नेटवर्क का मुख्य ठिकाना यानी 'अफीम की राजधानी' है, जहां से माल की डील और सप्लाई होती है। इस खुलासे के बाद पलामू पुलिस ने चतरा और पलामू के सीमावर्ती इलाकों में ताबड़तोड़ छापेमारी अभियान शुरू कर दिया है।
एसपी रीष्मा रमेशन ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि, "फर्जी नंबर प्लेट और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का उपयोग दर्शाता है कि यह एक संगठित गिरोह है। पूरे नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।"
यह कार्रवाई न केवल बरेली और झारखंड के बीच चल रहे मादक पदार्थों की तस्करी के बड़े लिंक को तोड़ती है, बल्कि पलामू के शांत इलाकों में छिपे इस काले कारोबार की जड़ों को भी हिलाने वाली है।
पाठकों से सवाल:
आपके हिसाब से फर्जी नंबर प्लेट का उपयोग करते हुए तस्करों की यह हरकत पुलिस प्रशासन के लिए कितनी बड़ी चुनौती है? क्या डिजिटल ट्रांजेक्शन से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए कोई विशेष कानून होना चाहिए? कमेंट करके बताएं।
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