Chhath Curse: सुवर्णरेखा नदी ने छठ के दिन 3 की जान ली! बालू माफिया की बनी 'मौत की खाई' – चांडिल में मातम
छठ पूजा के अर्घ्य के दौरान सरायकेला के चांडिल में यह बड़ा हादसा क्यों हुआ? बच्चे को बचाने कूदने वाले दो लोगों की भी जान कैसे चली गई? सुवर्णरेखा नदी में अवैध बालू उत्खनन से बनी 'खाई' की सच्चाई क्या है? जानिए इस दुखद घटना का पूरा विवरण, बचाव अभियान की स्थिति और ग्रामीणों की गुस्से वाली मांग!
सरायकेला खरसावां, 27 अक्टूबर 2025 – लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान, जब पूरा झारखंड अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में लीन था, तब चांडिल थाना क्षेत्र से एक हृदय विदारक खबर सामने आई है। सुवर्णरेखा नदी के पथरदीह बिस्वास भटा घाट पर हुए एक भीषण हादसे में एक बच्चे समेत तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस दुखद हादसे की वजह नदी में होने वाला अवैध बालू उत्खनन है, जिसने नदी के तल में 'मौत की खाई' (गहरे गड्ढे) बना दिए थे।
बच्चे को बचाने कूदे दो मददगार, तीनों डूब गए
यह दुखद घटना सोमवार शाम तब हुई, जब लोग अर्घ्य देने के लिए नदी के किनारे पहुंचे थे। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार, एक छोटा बच्चा नदी में बने गड्ढों का अंदाजा न लगा पाने के कारण अचानक गहरे पानी में डूबने लगा।
बच्चे को डूबते देखकर मौके पर मौजूद दो युवक (वयस्क) अपनी जान की परवाह किए बिना तुरंत उसे बचाने के लिए पानी में कूद गए। यह मानवता और बहादुरी का अद्वितीय उदाहरण था, लेकिन नदी में अवैध बालू उठाव से बनी असामान्य गहराई और दलदल ने उन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं दिया। तीनों के तीनों गहरे पानी में समा गए।
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में मातम और भयानक खामोशी फैला दी।
सुवर्णरेखा पर बालू माफिया का कब्जा – गहरे गड्ढे बन गए मौत का जाल
चांडिल के इस घाट पर यह हादसा क्यों हुआ? स्थानीय लोगों का गुस्सा अवैध बालू उत्खनन (Illegal Sand Mining) पर फूट पड़ा है।
सुवर्णरेखा नदी, जो झारखंड और ओडिशा में बहती है, हमेशा से ही बालू माफियाओं के निशाने पर रही है। चांडिल और जमशेदपुर के आस-पास के क्षेत्रों में अवैध तरीके से भारी मात्रा में बालू निकाले जाने के कारण, नदी का तल असंतुलित हो गया है। जहां एक जगह पानी उथला दिखता है, वहीं अचानक कुछ ही कदमों की दूरी पर गहरी खाई या गड्ढा (Pit) मिल जाता है।
ग्रामीणों का साफ कहना है कि ये गहरे गड्ढे प्राकृतिक नहीं, बल्कि बालू माफिया द्वारा बनाए गए 'मौत के जाल' हैं, जिनका अंदाजा छठ व्रतियों या उनके परिजनों को नहीं लग पाता। उन्होंने प्रशासन से सुरक्षा इंतजाम कड़े करने और तुरंत बालू उत्खनन पर रोक लगाने की मांग की है।
रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू: एक शव बरामद, दो की तलाश जारी
घटना की सूचना मिलते ही चांडिल थाना पुलिस और प्रशासनिक टीम तुरंत मौके पर पहुंची। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय गोताखोरों की मदद से देर शाम तक बचाव अभियान युद्धस्तर पर शुरू किया गया।
ताजा जानकारी के अनुसार, देर शाम तक एक बच्चे का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि पानी में डूबे दो वयस्कों की तलाश अभी भी जारी है। NDRF की टीम रात के अंधेरे और गहरे पानी के बावजूद तलाशी अभियान चला रही है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि अगर घाट पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम और गहरे पानी के चेतावनी बोर्ड होते, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। प्रशासन पर अब दोहरी जिम्मेदारी है – पहला, डूबे हुए लोगों को जल्द से जल्द ढूंढ निकालना; और दूसरा, अवैध बालू उत्खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना ताकि आस्था के घाटों को मौत के घाट बनने से रोका जा सके।
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