Bareilly Poetry: बरेली के इस घर में क्यों लगा शायरों का मेला? इमरान हाशमी (आंवला) को सम्मानित करते ही छा गया सन्नाटा – जानिए शायर का अनोखा इतिहास!
बरेली के इंद्रानगर में हुई मासिक काव्य गोष्ठी में क्या खास हुआ? शुभम् मैमोरियल संस्था के मंच पर चेयरमैन विनय साग़र जायसवाल ने क्या ऐसी बात कही कि कार्यक्रम की बुलंदियां छू गईं? नौजवान शायर इमरान हाशमी (आंवला) को सम्मानित क्यों किया गया? सत्यवती सिंह सत्या की मांँ शारदे की वंदना से लेकर हास्य कवि उमेश त्रिगुणायत तक – हर पल की पूरी जानकारी पढ़ें!
बरेली, 26 अक्टूबर 2025 - अक्सर साहित्यिक कार्यक्रम बड़े हॉलों या अकादमियों के भव्य मंच पर आयोजित होते हैं, लेकिन बरेली में 26 अक्टूबर को जो हुआ, वह कला और साहित्य के इतिहास में एक अनोखी मिसाल बन गया।
मनोज सक्सेना के इंद्रानगर स्थित निवास ने साहित्यकारों के लिए एक अस्थायी दरबार का रूप ले लिया, जहां शुभम् मैमोरियल साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था की अध्यक्ष सत्यवती सिंह सत्या ने मासिक काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन किया। यह आयोजन साबित करता है कि सच्ची कला को किसी बड़ी जगह की नहीं, बल्कि केवल कला के कद्रदानों की जरूरत होती है।
मशहूर शायर के लिए टूट गए नियम
गोष्ठी की अध्यक्षता मशहूर शायर विनय साग़र जायसवाल ने की, जिनकी शायरी की पकड़ और ग़ज़लों का अंदाज़ बरेली की साहित्यिक परंपरा का एक अहम हिस्सा रहा है। वहीं, वरिष्ठ कवि हिमांशु श्रोतिए ने मुख्यातिथि 'निष्पक्ष' की भूमिका निभाई, जबकि मशहूर गीतकार कमल सक्सेना विशिष्ट अतिथि रहे।
सवाल यह है कि इतने बड़े नाम एक निजी आवास पर क्यों एकत्र हुए? साहित्य के जानकार कहते हैं कि जब कलाकार प्रेम और सम्मान के साथ बुलाया जाता है, तो बड़े-बड़े नियम टूट जाते हैं।
सरस्वती वंदना से हुआ आगाज़
कार्यक्रम का संचालन शायर ग़ज़लराज ने अपनी ख़ूबसूरत शायराना अंदाज़ में किया, जिसने हर प्रस्तुति को एक नई ऊंचाई दी। गोष्ठी का आरंभ मधुर कंठ की स्वामिनी संस्था अध्यक्ष सत्यवती सिंह सत्या द्वारा प्रस्तुत मांँ शारदे की वंदना से हुआ, जिसने पूरे माहौल को पवित्र और ऊर्जावान बना दिया।
शायरी और कविता का यह संगम देखते ही बनता था। कार्यक्रम को बुलंदियों पर पहुंचाने में जिन कवियों और शायरों ने विशेष योगदान दिया, उनमें पीलीभीत से आए शायर जीतेश राज नक़्श और उनकी शायरी का नक़्श, मुकेश शर्मा मीत की गहराई, हास्य कवि अमित मनोज और उमेश त्रिगुणायत के ठहाके, गीतकार कमल कान्त श्रीवास्तव के मधुर गीत, अभिशेक अग्निहोत्री और पीयूष गोयल बेदिल की शब्दावली तथा मेजबान मनोज सक्सेना का अतिथि सत्कार मुख्य रहा।
इमरान हाशमी (आंवला) को सम्मानित करते ही क्यों छाया सन्नाटा?
कार्यक्रम का सबसे भावनात्मक और जिज्ञासापूर्ण पल तब आया, जब नौजवान शायर इमरान हाशमी (आंवला) को सम्मानित किया गया। जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई, एक पल के लिए पूरा हॉल तालियों से गूंजने से पहले हैरत में डूब गया।
आखिर क्या थी वजह? क्या वह कोई छिपी हुई प्रतिभा थे?
इमरान हाशमी (आंवला) अपनी नौजवान उम्र के बावजूद ग़ज़ल की गहनता और नए विचारों के कारण साहित्यिक जगत में तेजी से उभर रहे हैं। उनका सम्मान यह साबित करता है कि बरेली की साहित्यिक संस्थाएं सिर्फ स्थापित नामों को ही नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की प्रतिभा को भी पहचानती हैं और उन्हें आगे बढ़ाने में विश्वास रखती हैं।
इस पूरे कार्यक्रम की प्रस्तुति संस्था संरक्षक विनय साग़र जायसवाल द्वारा की गई, जिसने एक बार फिर बरेली को शायरी और कला की एक अहम ज़मीन के रूप में स्थापित कर दिया।
पाठकों से सवाल:
आपके हिसाब से साहित्यिक संस्थाओं को नौजवान प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए और क्या करना चाहिए? क्या बरेली जैसे शहरों में इस तरह के निजी आयोजन साहित्य को जीवित रखने के लिए आवश्यक हैं? अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिखें।
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