Ghatshila Crisis: चुनावी भागदौड़ छोड़ मजदूर नेता क्यों पहुंचे RD रबर कंपनी? आरडी रबर कंपनी में बड़ा विवाद सुलझा – घायल मजदूर को न्याय मिलने पर क्यों मना जश्न?
घाटशिला उपचुनाव की राजनीतिक गर्मी के बीच केंद्रीय संगठन मंत्री संजय गोराई का अचानक RD रबर कंपनी पहुँचना क्या दर्शाता है? कार्यस्थल पर हाथ टूटने के बाद मजदूर आकाश मंडल को कैसे मिला न्याय? ठेकेदार और कंपनी को क्यों उठानी पड़ी इलाज की पूरी जिम्मेदारी? उपचुनाव के माहौल में यह घटना जनता को क्या संदेश देती है, जानें पूरा किस्सा!
घाटशिला, 27 अक्टूबर 2025 - घाटशिला उपचुनाव की राजनीतिक उथल-पुथल में नेताओं के बयानबाजी और दौरे तो अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं, लेकिन सोमवार को यहां जो हुआ, उसने राजनीति से हटकर एक बड़ा संदेश दिया है।
केंद्रीय संगठन मंत्री और प्रसिद्ध मजदूर नेता संजय गोराई ने उपचुनाव की व्यस्तता और महत्वपूर्ण समय को पीछे छोड़ते हुए आरडी रबर कंपनी में मजदूरों के एक ज्वलंत मुद्दे को प्राथमिकता दी। उनका यह कदम दिखाता है कि उनके लिए चुनाव से पहले मजदूरों का न्याय और सम्मान सर्वोपरि है।
दर्दनाक हादसा: जब टूट गया मजदूर का हाथ
विवाद का केंद्र बनी आरडी रबर कंपनी में कार्यरत मजदूर आकाश मंडल के साथ कुछ दिनों पहले कार्यस्थल पर एक दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें उनका हाथ गंभीर रूप से टूट गया।
इस घटना के बाद कंपनी के अन्य मजदूरों में भारी आक्रोश था। मजदूरों ने ठेकेदार लक्ष्मी दास एंटरप्राइजेज पर सीधी लापरवाही और सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाने का गंभीर आरोप लगाया। मजदूर वर्ग का यह आरोप उस समय के दशकों पुराने औद्योगिक इतिहास की याद दिलाता है, जब कामगारों को असुरक्षित माहौल में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।
उपचुनाव छोड़ मजदूरों के बीच पहुंचे संजय गोराई
घाटशिला में 11 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होना है। ऐसे राजनीतिक माहौल में, जब हर नेता एक-एक वोट की जुगाड़ में लगा है, संजय गोराई ने मजदूरों के लिए समय निकालकर अपनी मजदूर नेता की छवि को और मजबूत किया है।
सोमवार को वह झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के वरिष्ठ नेता रूपेश गोराई, उमेश महतो और लक्ष्मण महतो के साथ आरडी रबर कंपनी पहुंचे और सीधे प्रबंधन के साथ वार्ता शुरू की।
संजय गोराई ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा, “मजदूर वर्ग उद्योगों की रीढ़ हैं। उनकी सुरक्षा और सम्मान से समझौता नहीं किया जा सकता। उपचुनाव की व्यस्तता के बावजूद मजदूरों के बीच आना मेरा दायित्व है, क्योंकि यही असली जनता है।”
ऐतिहासिक समझौता: घायल मजदूर को मिला न्याय
संगठन के कठोर हस्तक्षेप और दबाव के बाद प्रबंधन और मजदूर प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता पूरी तरह सफल रही। इस वार्ता में निम्नलिखित बड़े फैसले लिए गए:
-
इलाज की पूरी जिम्मेदारी: घायल मजदूर आकाश मंडल के इलाज और आर्थिक सहायता की पूरी जिम्मेदारी कंपनी और ठेकेदार दोनों मिलकर उठाएंगे।
-
सुरक्षा का वादा: भविष्य में कार्यस्थल पर सुरक्षा के सभी मानकों को सख्ती से लागू करने का लिखित वादा किया गया, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
स्थानीय मजदूरों ने इस सफलता को “संगठन की जीत” और “मेहनतकश की ताकत” बताया।
घाटशिला उपचुनाव में जहां बड़े नेता सियासी दांव-पेंच खेल रहे हैं, वहीं संजय गोराई का यह कदम यह संदेश देता है कि आज की जनता अब विकास और न्याय के बुनियादी मुद्दों को ही सबसे बड़ी प्राथमिकता देगी। यह घटना दर्शाती है कि जनता के हितों के लिए लड़ने वाले नेता को ही असली सम्मान मिलता है, भले ही वह किसी भी राजनीतिक व्यस्तता में क्यों न हो।
पाठकों से सवाल:
क्या आपको लगता है कि नेताओं को चुनावों के दौरान भी इस तरह के मजदूरों और आम जनता के बुनियादी मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए? आपके हिसाब से यह घटना घाटशिला उपचुनाव पर क्या असर डालेगी? अपनी राय कमेंट बॉक्स में बताएं!
What's Your Reaction?


