Karam Puja 2025: प्रकृति और भाई-बहन के रिश्ते का अनूठा पर्व, जानें पूजन विधि और महत्व

जानिए करमा पूजा 2025 का सही तिथि, पूजा विधि, लोककथाएं और क्यों आदिवासी समाज में यह पर्व इतना खास है। क्या करमा पूजा आपके घर-परिवार को खुशहाली और फसल को सुरक्षा दिला सकता है?

Sep 3, 2025 - 13:26
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Karam Puja 2025: प्रकृति और भाई-बहन के रिश्ते का अनूठा पर्व, जानें पूजन विधि और महत्व
Karam Puja 2025: प्रकृति और भाई-बहन के रिश्ते का अनूठा पर्व, जानें पूजन विधि और महत्व

आज 3 सितंबर 2025 (बुधवार) को झारखंड, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश समेत देश के कई tribal क्षेत्रों में करमा पूजा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. प्राचीन आदिवासी संस्कृति और प्रकृति को समर्पित यह पर्व परिवार, भाई-बहन, फसल और समृद्धि की मंगलकामना के लिए विशेष तौर पर मनाया जाता है।

करमा पूजा की शुरुआत घर-आंगन की सफाई से होती है। फिर पूजा स्थल गाय के गोबर से शुद्ध किया जाता है। कर्म वृक्ष की डाली लाकर उसे मिट्टी या गोबर से बने पवित्र स्थल में गाड़ा जाता है। पूजा में महिलाएं सुंदर थाली सजाकर करम देवता की पूजा करती हैं। खास तौर पर विवाहित महिलाएं अपने मायके आकर करमा के दिन व्रत रखती हैं और अपने भाइयों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और उन्नति की कामना करती हैं। करमा पूजा के अवसर पर कर्म-धरम की लोककथा, जो दो भाइयों की कहानी है, सुनाई जाती है। भाई बहन की अनूठी परंपरा में व्रत पूछने और खीरे का आदान-प्रदान विशेष रूप से होता है.

करमा पर्व का महत्व आदिवासी समाज में बहुत अधिक है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने वाली अविवाहित कन्याओं को योग्य जीवनसाथी, परिवार को खुशहाली और फसलों की सुरक्षा तथा अच्छी उपज मिलती है। यह पर्व सामुदायिक एकता, पारिवारिक रिश्तों, और प्रकृति के संरक्षण का भी संदेश देता है। करमा पर्व के केंद्र में कर्म वृक्ष होता है, जिसे शक्ति, स्फूर्ति और प्रकृति के रूप में पूजा जाता है। पूजा के बाद कर्म डाली को नदी या तालाब में विसर्जित करने की परंपरा है।

करमा पूजा के दिन गांव-शहरों में सामूहिक नृत्य, गीत, भोजन के साथ रातभर उत्सव चलता है। इस दिन जयकारों और लोक गीतों के साथ महिलाएं पूजा स्थल पर पहुंचती हैं। स्थानीय पुजारी ‘पाहन’ या ‘देहुरी’ प्रक्रिया पूरी कराते हैं। पर्व न केवल फसल बल्कि भाई-बहन और परिवार की मंगलकामना का सशक्त पर्व है। आधुनिक समय में भी यह पर्व आदिवासी और गैर-आदिवासी समाज को आपस में जोड़ता है और पर्यावरण सरंक्षण की प्रेरणा देता है.

क्या आप जानते हैं कि करमा पर्व का कोई भजन या लोककथा सुनी जाती है? क्या आपके घर में भी करमा वृक्ष की पूजा होती है? इस बार करमा पूजा में ज़रूर शामिल हों और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।