Shibu Soren Museum: गुरुजी के घर के हर कोने में झारखंड आंदोलन की गूंज, कैबिनेट ने दी ऐतिहासिक मंजूरी

झारखंड में पहली बार मोरहाबादी स्थित गुरुजी शिबू सोरेन के घर को स्मृति संग्रहालय में बदलने का फैसला। जानिए कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले से कैसे झारखंड का आंदोलन और संस्कृति नई पीढ़ी तक पहुंचेगी।

Sep 3, 2025 - 13:42
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Shibu Soren Museum: गुरुजी के घर के हर कोने में झारखंड आंदोलन की गूंज, कैबिनेट ने दी ऐतिहासिक मंजूरी
Shibu Soren Museum: गुरुजी के घर के हर कोने में झारखंड आंदोलन की गूंज, कैबिनेट ने दी ऐतिहासिक मंजूरी

रांची, 3 सितंबर 2025 : झारखंड की अस्मिता और उसके आंदोलन के पुरोधा दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नाम पर एक नई ऐतिहासिक पहल हुई है। मोरहाबादी स्थित गुरुजी का सरकारी आवास अब ‘गुरुजी स्मृति संग्रहालय’ के रूप में विकसित किया जाएगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार ने यह प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई.

डॉ. अंसारी ने बैठक में कहा कि गुरुजी का घर झारखंड आंदोलनों और भावनाओं का केंद्र रहा है। गुरुजी की हर वस्तु, उनका संघर्ष और उनके सपनों की कहानी हर कोने में बसी है। उन्होंने कहा, “गुरुजी की स्मृतियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। संग्रहालय बनने से युवा, छात्र, शोधार्थी और आम जनता गुरुजी के जीवन, उनकी विचारधारा और आंदोलन की विरासत को जान सकेंगे।”

नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा, “यह संग्रहालय झारखंड की अस्मिता और हमारी लड़ाई का प्रतीक बनेगा। गुरुजी की स्मृतियां अमर रहेंगी और उनकी संघर्ष यात्रा हर दिल में बस जाएगी।” बैठक में जामताड़ा के चिरुडीह गांव में गुरुजी की याद में एक भव्य पार्क और विशाल प्रतिमा लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया। यही वह भूमि है, जहां से शिबू सोरेन गुरुजी ने अपनी सामाजिक और राजनीतिक लड़ाई की शुरुआत की थी.

गुरुजी स्मृति संग्रहालय में उनके प्रयुक्त सामान, ऐतिहासिक दस्तावेज, पुरानी तस्वीरें और आंदोलन से जुड़े क्षण संरक्षित किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि यह संग्रहालय झारखंड के युवाओं को अपनी जड़ों, संघर्ष और पहचान से जोड़ने में नया कीर्तिमान गढ़ेगा। कैबिनेट ने इसे राज्य की विरासत संकल्पना का हिस्सा बताया है।

डॉ. अंसारी ने कहा- "आज हम मंत्री और जनप्रतिनिधि बन पाए हैं तो यह गुरुजी की ही देन है, जिन्होंने हमेशा पुत्रवत स्नेह दिया और जीवनभर मार्गदर्शन किया।" चिरुडीह में स्मारक स्थापित होना पूरे झारखंड के लिए गर्व का विषय होगा।

क्या युवा पीढ़ी गुरुजी की संघर्ष गाथा से प्रेरणा ले सकेगी? क्या संग्रहालय में संग्रहित धरोहरें नए आंदोलन का आधार बनेंगी? देखना है कि ये ऐतिहासिक फैसला झारखंड की संस्कृति और अस्मिता को कैसे नई ऊर्जा देता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।