Jamshedpur Murder: अभिषेक हेंब्रम हत्याकांड में पुलिस फेल, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
जमशेदपुर के परसुडीह में अभिषेक हेंब्रम की हत्या के तीन दिन बाद भी पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंची। आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने थाने का घेराव कर दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की।
जमशेदपुर, परसुडीह: झारखंड के परसुडीह थाना क्षेत्र में हुए अभिषेक हेंब्रम हत्याकांड ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हत्या के तीन दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं, जिससे आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने सोमवार को परसुडीह थाना का घेराव कर प्रदर्शन किया।
क्या है मामला?
तीन दिन पहले परसुडीह के छोलागोड़ा में स्थानीय दुकानदार और राशन डीलर अभिषेक हेंब्रम की उनके ही घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
- आरोप है कि रोशन हेम्ब्रम और भोला होनागा समेत 4-5 लोगों ने मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया।
- हत्या के पीछे व्यक्तिगत रंजिश और व्यापारिक विवाद की संभावना जताई जा रही है।
लेकिन घटना के तीन दिन बाद भी पुलिस आरोपियों को पकड़ने में नाकाम है।
ग्रामीणों का प्रदर्शन
पुलिस की निष्क्रियता से गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने थाने का घेराव कर प्रदर्शन किया।
- हाथों में न्याय की तख्तियां लेकर ग्रामीण दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहे थे।
- प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि जल्द गिरफ्तारी नहीं हुई, तो वे एसएसपी कार्यालय का घेराव करेंगे।
- गांव के मुखिया ने बताया कि पुलिस की सुस्ती ने जनता का भरोसा तोड़ा है।
पुलिस का जवाब और डीएसपी का आश्वासन
थाने पर बढ़ते तनाव को देखते हुए डीएसपी विधि व्यवस्था तौकीर आलम मौके पर पहुंचे।
- उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर मामले की जांच तेज करने का आश्वासन दिया।
- परिजनों ने डीएसपी को अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा।
आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ, लेकिन ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर आरोपियों को जल्द नहीं पकड़ा गया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
कानून व्यवस्था पर उठते सवाल
अभिषेक हेंब्रम हत्याकांड ने झारखंड की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
- हत्या के तीन दिन बाद भी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
- पुलिस की यह सुस्ती अपराधियों को बढ़ावा दे रही है।
- परिजनों ने कहा कि पुलिस केवल आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ रही है।
घटनास्थल का माहौल और ग्रामीणों का दर्द
छोलागोड़ा गांव में दहशत का माहौल है। हत्या के बाद ग्रामीणों में गुस्सा और डर दोनों है।
- परिजनों ने कहा कि अभिषेक उनके परिवार का एकमात्र सहारा थे।
- ग्रामीणों ने पुलिस से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।
थाने के घेराव का नजारा
थाने के बाहर प्रदर्शन के दौरान माहौल काफी तनावपूर्ण था।
- ग्रामीणों की भीड़ लगातार न्याय और सुरक्षा की मांग कर रही थी।
- डीएसपी आलम ने पुलिस टीम को जल्द से जल्द जांच पूरी करने का निर्देश दिया।
इतिहास की कड़वी सच्चाई
झारखंड में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं।
- पिछली घटनाओं में भी पुलिस की लापरवाही देखी गई है।
- सिंहभूम जिला में इसी साल कई आपराधिक मामलों में पुलिस की देरी सवालों के घेरे में रही।
क्या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा, या अभिषेक के परिजनों को न्याय मिलेगा?
ग्रामीणों की मांगें
अभिषेक हेंब्रम के परिजनों और ग्रामीणों ने अपनी मांगे स्पष्ट रखी हैं:
- आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी।
- पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और सुरक्षा।
- जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेज़ी।
क्या पुलिस भरोसा बहाल कर पाएगी?
पुलिस की निष्क्रियता और जनता का बढ़ता गुस्सा कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती है।
- क्या पुलिस समय रहते आरोपियों को पकड़ पाएगी?
- परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा शांत होगा, या आंदोलन और बढ़ेगा?
यह घटना झारखंड प्रशासन के लिए एक सख्त परीक्षा है।
अभिषेक हेंब्रम हत्याकांड ने न्याय और सुरक्षा व्यवस्था के महत्व को फिर से रेखांकित किया है।
यह जनता का प्रशासन पर से भरोसा तोड़ने वाली घटना है। अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह घटना कानून व्यवस्था की एक और नाकामी के रूप में दर्ज होगी।
अब सवाल यह है: क्या अभिषेक के परिजनों को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह गुमनामी में चला जाएगा?
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